हर इंसान एक अच्छी ज़िन्दगी जीना चाहता है. इसके लिए वो हर संभव कोशिश भी करता है, लेकिन ख़ुशहाल ज़िन्दगी का सुख़ किसी-किसी को ही नसीब हो पता है. एक अच्छी ज़िन्दगी जीने के लिए इंसान गांव से शहर, शहर से मेट्रो शहर और मेट्रो शहर से विदेश तक जाने को तैयार रहता है. लेकिन तब क्या हो जब कोई विदेश की ऐशो-आराम वाली ज़िंदगी छोड़कर अपने पैतृक गांव आकर गाय पालने लगे.
गुजरात के बनासकांठा ज़िले का कनोदर गांव इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं. दरअसल, 49 वर्षीय मर्जिया मूसा नाम की एक महिला ने इस गांव को आज एक नयी पहचान दी है. कुछ साल पहले तक मर्जिया अमेरिका के टेक्सास में ख़ुशहाल ज़िंदगी जी रही थी, लेकिन उनके मन में हर वक़्त एक ही बात कौंधती रहती थी कि भारत वापस जाकर अपने गांव के लिए कुछ करना है.
June 1st as a World Milk Day :”Drink Move Be Strong” #world milk day # Indian dairy man # milk pic.twitter.com/tF3fjPot9R
— Marjiya Musa (@MarjiyaMusa) June 1, 2018
साल 2016 में मर्जिया अपना सबकुछ छोड़कर भारत वापस आ गयीं. यहां आकर उन्होंने क़रीब 2.50 करोड़ रुपये ख़र्च करके 5 एकड़ का एक फ़ार्म हॉउस ख़रीदा. दरअसल, मर्जिया चाहती थीं कि यहां के लोग मिलावटी दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें. इसीलिए उन्होंने अपने इस फ़ार्म हॉउस में 22 पालतू गायें रखीं. आज उनके ‘मुखी डेरी फ़ार्म’ में डच ब्रीड की 120 Holstein Friesian गायें हैं. जिनसे मिलने वाला दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न सिर्फ़ भारत, बल्कि विदेशों में भी हो रहा है.
Need to work hard for every part World .Improving women’s rights and opportunities can lead to an end of poverty for all by increasing women’s involvement in dairy tech&business. #gujarat #dairy#rural women # India pic.twitter.com/ORtwHqi1Tg
— Marjiya Musa (@MarjiyaMusa) December 25, 2017
मर्जिया ने कहा, शुरुआत में मैंने इस फ़ार्म में गायों की देखभाल, दूध निकालने व दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स के वितरण के लिए तीन महिलाओं को रखा था. ख़ास बात ये है कि हमने ये काम नोटबंदी के तुरंत बाद शुरू किया था, जो बेहद मुश्किल था. इस सफ़र के दौरान कई बार हमें मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा. जब मेरे स्टाफ़ के लोग दूसरे राज्यों से गायें ला रहे होते थे, तो स्वघोषित गौ-रक्षक उन पर हमला कर देते थे. इसलिए मुझे कई बार पुलिस प्रोटेक्शन भी लेनी पड़ी.
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साल 2017 में जब यहां भयंकर बाढ़ आई थी उस वक़्त भी हमें काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. खेतों में काफ़ी पानी भर गया था, जिसमें एक छोटा बछड़ा मर गया था. खेतों में भरे पानी को साफ़ करने में हमें कई दिन लग गए. इसमें स्थानीय लोगों ने हमारी काफ़ी मदद की.
Here is the damage caused by #GujaratFlood and we are thankful to everyone who helped and stood by during our dark hours. All cows are safe! pic.twitter.com/WMfbJb7Ezb
— Mukhi Dairy Farm (@mukhidairyfarm) July 25, 2017
मर्जिया सिर्फ़ गायें ही नहीं पाल रही हैं, बल्कि इस क्षेत्र के किसानों के लिए जागरूकता अभियान भी चला रही हैं ताकि वो पशुओं की देखभाल अच्छे से कर सकें. गायों की निगरानी के लिए वो Radio Frequency पहचान प्रणाली का उपयोग करती हैं. आज यहां दुनिया की बेस्ट तकनीक से दूध निकाला और उसे सुरक्षित रखा जाता है.
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मर्जिया एक गाय के खाने पर हर दिन 250 रुपये ख़र्च करती हैं, वहीं प्रतिदिन उन्हें एक गाय से 14 लीटर दूध मिल जाता है. वहीं प्रति माह दूध बेचकर वो 2 लाख रुपये तक कमा लेती हैं. आज मर्जिया के इस मॉडल को अन्य गांवों के किसान भी अपना रहे हैं और अच्छा खासा रोज़गार पा रहे हैं.
कनोदर गांव के सरपंच ज़हीर अब्बास चौधरी का कहना है कि, मूसा के मॉडल को अन्य गांवों में दोहराया जाना चाहिए, ताकि लोगों को रोज़गार के लिए दूसरे शहरों में न जाना पड़े.