पृथ्वी का ऐसा कोई कोना नहीं बचा जहां पर प्लास्टिक का कचरा और प्रदूषण इंसानों ने न फैलाया हो. हमने तो अपने द्वीपों तक को नहीं छोड़ा है. जहां भी हम जाते हैं और तरह-तरह का कचरा वहां छोड़ आते हैं. अंडमान का नील द्वीप भी इसी समस्या से परेशान है. लेकिन इस द्वीप को पहले जैसा साफ़-सुथरा बनाने में लगी है एक छात्रा. इसके लिए इन्होंने विदेश में शिक्षा हासिल करने का अपना सपना भी त्याग दिया है.

26 वर्षीय इस लड़की का नाम है गरिमा पुनिया. ये 2018 से अंडमान के नील आईलैंड को साफ़ करने में जुटी हुई हैं. साल 2017 में गरिमा पहली बार अंडमान के नील द्वीप पर गई थीं. यहां वो स्कूबाडाइविंग सीखने गई थीं. इन्होंने इंटरनेट पर इस द्वीप की ख़ूबसूरत तस्वीरें देखीं थीं. 

लेकिन जब वो यहां पहुंची तो तस्वीर काफ़ी बदल गई थी. यहां पर हर तरफ़ प्रदूषण और कचरा था. ये इसकी सुंदरता में काले धब्बे की तरह था. इसे देखकर गरिमा दुखी हो गईं. फिर उन्होंने तय किया कि इस द्वीप को पहले जैसा सुंदर बना कर दम लेंगी.

छोड़ दी Sussex University की सीट

इसके लिए इन्होंने Sussex University से अपनी पढ़ाई पूरी करने का सपना भी त्याग दिया. ये साल 2018 में नील द्वीप पर वापस गईं और ‘कचरेवाले प्रोजेक्ट’ के ज़रिए द्वीप को साफ़ करने लगीं. इसकी शुरुआत इन्होंने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर की थी.

नील द्वीप काफ़ी छोटा है और 7 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. पिछले कुछ सालों में यहां टूरिस्टों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफ़ा हुआ है. गरिमा का कहना है कि- ‘मैं जानना चाहती थी कि घरों से कचरा कैसे निकलता है और इसे कैसे फेंका जाता है. मुझे मालूम चला कि कचरा प्रबंधन की यहां कोई प्रणाली नहीं है. न ही इसे रिसाइकिल किया जाता है. इसलिए मज़बूरी में कचरा समुद्र के किनारे फेंका जा रहा था या फिर उसे जला दिया जाता था. इससे वायु प्रदूषण होता था.’

रिसॉर्ट के मालिकों को समझया 

गरिमा और उनकी टीम ने नील द्वीप की 5 Beeches से लगभग 250 किलोग्राम कचरा इकट्ठा किया. इसके बाद स्थानीय लोगों की मदद से उस कचरे को अलग किया गया. इसके बाद उन्होंने यहां बने रिसॉर्ट के मालिकों से भी बात की. उनसे कहा कि वो अलग-अलग प्रकार के कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में इकट्ठा करें.

रिसॉर्ट के मालिक भी गरिमा का जज़्बा देखकर उनकी बात मानने को तैयार हो गए. यहां के 42 रिसॉर्ट मालिकों ने फैसला लिया कि उनके यहां से निकले कूड़े का उचित प्रबंधन किया जाएगा. जो कचरा रिसाइकिल हो सकेगा उसे अलग रखा जाए और बाकी का कचरा समुद्र में नहीं, बल्कि चेन्नई भेजा जाएगा. 

नील द्वीप पर बने सनराइज़ रिसॉर्ट के मालिक ने इस बारे में बात करते हुए कहा- ‘गरिमा की बात बिल्कुल सही है. अगर इस द्वीप का ख़्याल नहीं रखेंगे तो यहां पर टूरिस्ट आना बंद कर देंगे. इस तरह हमारा काम भी ठप पड़ जाएगा. ये कूड़ा हम सभी फैला रहे हैं, इसलिए इस समस्या से भी हम सभी को मिलकर निपटना होगा.’

गरिमा ने इस स्वच्छता अभियान के लिए स्कूली बच्चों को भी शामिल किया. हर स्कूल से 3 बच्चे लिए गए और इन बच्चों को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में भी जानकारी दी गई. इनकी मदद से इन्होंने 100 किलो कचरा इकट्ठा किया था. 

पोर्ट ब्लेयर नगर निगम ने भी की मदद 

पोर्ट ब्लेयर नगर निगम भी इस काम में गरिमा की पूरी मदद कर रहा है. निगम इनके द्वारा इकट्ठा किए हुए कचरे को चेन्नई पहुंचाता है, जहां उसे रिसाइकिल किया जाता है. गरिमा पुनिया के इस प्रयासों से नील द्वीप अब काफ़ी हद तक साफ़ हो चुका है. इस द्वीप को पूरी तरह साफ़ करने के बाद गरिमा अपने इस अभियान को हैवलॉक द्वीप पर ले जाने की तैयारियां कर रही हैं. 

इस काम के लिए वो पैसे भी ख़ुद ही जुटाती हैं. वो एक मैगज़ीन की एडिटर हैं और एक रिसॉर्ट की मैनेजर भी. इनसे हुई आमदनी को गरिमा इस प्रोजेक्ट में लगा देती हैं. 

गरिमा आपको हमारा सलाम.