आप वीकेंड पर क्या करते हैं? घर के काम-काज के अलावा? दोस्तों के साथ वक़्त बिताते हैं या फिर कहीं ट्रिप पर चले जाते हैं. या फिर कुछ भी नहीं करते और बिस्तर पर पड़े रहते हैं.
वेणुगोपाल हर मामले में हम जैसे होने के बावजूद भी हमसे काफ़ी अलग हैं. वो वीकेंड्स पर मौज-मस्ती करने के बजाए ‘गार्डन सिटी ऑफ़ इंडिया’, बेंगलुरू की झीलों की सफ़ाई करते हैं.
बेंगलुरू के Electronic City के रहने वाले वेनुगोपाल, रोज़ाना बेलंदूर झील के बगल से गुज़रते थे. झील से निकलता झाग उन्हें बहुत परेशान करता था. झील की हालत देखकर उन्हें लगा कि कहीं उनके घर के पास स्थित मारागोंडनाहल्ली झील की भी वही हालत न हो.
मुझे दौड़ना और साईकिल चलाना पसंद है. रोज़ सुबह झील की बदहाल हालत से रूबरू होना पड़ता. प्रकृति का एक खज़ाना जो लोगों के घूमने की जगह बन सकता था, वो कचरा फेंकने की जगह बन चुका था. शराब पीने वाले झील के आस-पास के इलाके को ओपन-बार समझ बैठे थे. शराब पीकर लोग वहां अकसर झगड़ते थे. मुझे भी लोगों ने मेरे घूमने-फिरने का रास्ता बदलने को कहा. ये करने के बजाए मैंने झील की सूरत बदलने की सोची.
-वेणुगोपाल कुमपल्ली
अपना मन बनाने के बाद अगला कार्य था, हुलीमंगला पंचायत से अनुमति लेना. पंचायत से ‘Lake Warden’ बनने की अनुमति मिलने के बाद वेणुगोपाल ने क्षेत्र का सर्वे किया और पाया कि झील की हालत उनके अनुमान से कहीं ज़्यादा ख़राब है.
वेणुगोपाल ने लगभग 14000 रुपए ख़र्च कर Bush Cutting Machine, Log Cutter, Hedge Trimmer, Bush Cutting Triangular Blade, Grass Cutter आदि सामान ख़रीदे.
सफ़ाई के लिए उन्होंने PVC Pipes से एक बोट भी बनाई. उन्हें तैरना नहीं आता था, तो वो Life Jacket पहनकर झील में उतरते थे.
एक शाम में झाड़ियां काट रहा था, तभी एक शराबी ने मुझ पर हमला कर दिया. वो मुझे रोकना चाहता था. हालात ऐसे हो गए कि उस दिन मुझे काम रोकना पड़ा. अगले दिन मैंने पुलिस में शिकायत की, पुलिस के साथ पहुंचा और काम जारी रखा.
-वेणुगोपाल कुमपल्ली
वेणुगोपाल के काम को लोगों ने नोटिस करना शुरू किया और पड़ोस के बच्चे भी उनकी सहायता के लिए आने लगे. बच्चों का मन लगा रहे इसीलिए वेनुगोपाल ने उन्हें आस-पास के पेड़ों को पेंट करने का काम सौंपा.
17 एकड़ में फैली इस झील के 14 एकड़ की सफ़ाई हो चुकी है. आस-पास की जगह पर 200 से ज़्यादा पेड़ और 500 से ज़्यादा पौधे लगाए जा चुके हैं.
वेणुगोपाल के काम की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है. सच है इंसान अगर चाहे तो कुछ भी कर सकता है.