‘उन्होंने मुझे सभी के सामने निर्वस्त्र होने के लिए कहा. उन्होंने मेरा मज़ाक उड़ाया क्योंकि मेरा शरीर पुरुषों और महिलाओं के अनुरूप नहीं है.’ 

ये कहना है पुरुष से महिला बनी निशा अयूब का. निशा अयूब एक मलेशियाई ट्रांसजेंडर राइट एक्टिविस्ट है.

निशा मलेशिया के मालक्का में जन्मी हैं. निशा की मां इंडियन-श्रीलंकन हैं, वहीं उनके पिता मलेशियन हैं. 

बचपन में निशा को बॉलीवुड गानों पर शॉल या चुन्नी पहन कर नाचना बेहद अच्छा लगता था. जब निशा 9 साल की थीं तो उन्होंने स्कूल में एक फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. निशा एक Ballerina बन काली ड्रेस और विग लगा कर गई थीं. उस समय उन्हें एहसास हुआ कि वो असल में क्या हैं. 

एक लड़के से लड़की में बदलना निशा के लिए बिल्कुल भी आसान न था. निशा ने उस जगह कानून व्यवस्था का भी सामाना किया है, जहां इस्लामी शरियत कानून अमल किया जाता है. 

शरिया (इस्लामी कानून) के एक प्रावधान के तहत एक पुरुष व्यक्ति को महिला की तरह कपड़े पहनने या उसकी तरह व्यवहार करने और उस तरह से सार्वजनिक रूप से दिखाई देने पर प्रतिबंध है. 

इस कानून के तहत, निशा को 2000 में तीन महीने के लिए जेल भी हो गई थी. 

निशा को लड़कों के कारागाह में डाला गया था. वहां उसका यौन शोषण भी किया गया था. 

मगर निशा ने न केवल अपने लिए लड़ना छोड़ा और न ही LGBT समुदाय के लिए. आज निशा मलेशिया की सबसे प्रमुख एलजीबीटी कार्यकर्ता बन गईं हैं.

मार्च 2016 में वो US State Department’s International Women of Courage की पहली ट्रांसजेंडर महिला के रूप में पहचान मिली जो समानता और अधिकारों के लिए लड़ रही हैं.