ज़िंदगी हमारा जमकर इम्तिहान लेती है और हमें इसका सामना डटकर करना होता है. क्योंकि अगर हम ऐसा कर लेते हैं, तो सफ़लता एक दिन हमारे कदम ज़रूर चूमती है. कर्नाटक के छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले प्रताप एन.एम ने भी अपनी ज़िंदगी में कुछ कड़े इम्तिहानों का मज़बूती से सामना किया है. आज उन्हें पूरी दुनिया ड्रोन साइंटिस्ट के नाम से जानती हैं. इनकी कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं.
प्रताप जब 15 साल के थे तब उन्हें चील को देख कर ड्रोन बनाने का आइडिया आया था. पर तब उनके पास न तो पैसे थे और न ही स्मार्टफ़ोन. अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने एक साइबर कैफ़े में साफ़-सफ़ाई का काम कर लिया. यहां उन्हें इस काम के बदले 45 मिनट तक इंटरनेट सर्फ़िंग करने दिया जाता था.
यहीं से उन्होंने ड्रोन बनाना सीखा. दूसरी समस्या ये थी कि अब उनके पास ड्रोन बनाने के लिए सामान ख़रीदने के पैसे नहीं थे. तब प्रताप ने कबाड़ जैसे टूटे हुए ड्रोन, मोटर, कैपेसिटर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों से ड्रोन तैयार करना शुरू कर दिया. कई बार असफ़ल रहने के बाद वो एक ड्रोन बनाने में कामयाब रहे जो उड़ भी सकता था और तस्वीरें भी खींच सकता था.
इसके बाद प्रताप ने मैसूर के जेएसएस कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड कॉमर्स से बीएससी की. यहां भी ड्रोन पर रिसर्च जारी रही और इन्होंने कम लागत में ऐसे ड्रोन तैयार किए जो पर्यावरण के अनुकूल भी थे. साल 2017 में प्रताप ने जापान में होने जा रहे International Robotic Exhibition में हिस्सा लेने की ठानी. लेकिन तब उनके पास वहां जाने के लिए फ़्लाइट का टिकट ख़रीदने तक के पैसे नहीं थे. तब उनकी मां ने अपने बेटे के सपने को पूरा करने के अपने गहने बेचकर उनकी टिकट का इंतज़ाम किया था.
इस Exhibition में प्रताप को गोल्ड और सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया था. इसके बाद साल 2018 में जर्मनी में हुए International Drone Expo में प्रताप ने Albert Einstein Innovation Gold Medal जीत कर अपना और देश का नाम रौशन किया था. तब से लेकर अब तक वो कई देशों में जाकर ड्रोन से संबधिंत सेमिनार में भाषण दे चुके हैं. वो आईआईटी बॉम्बे और आईआईएससी में लेक्चर भी दे चुके हैं. फ़िलहाल प्रताप डीआरडीओ के एक प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं.
प्रताप ने अब तक 600 से भी अधिक ड्रोन तैयार किए हैं. इसके अलावा उन्होंने कई प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया है, जिनमें सीमा सुरक्षा के लिए टेलीग्राफ़ी, यातायात प्रबंधन के लिए ड्रोन तैयार करना, रेसक्यू ऑपरेशन के लिए यूएवी बनाना शामिल है. 2018 में जब कर्नाटक में भीषण बाढ़ ने तबाही मचाई थी, तब इनके बनाए ड्रोन ने आपदा राहत कार्य में काफ़ी मदद की थी. ड्रोन की हेल्प से बचाव कर्मियों ने पीड़ितों को दवाई और भोजन पहुंचाया था.
सच में प्रताप इनोवेशन के क्षेत्र में लगे युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं.