‘What is in a name’ Shakespeare ने कहा था. वो तो कह कर चले गए पर उनकी बात पर किसी ने अमल नहीं किया. मगर अपने देश में एक ऐसा गांव हैं, जो इस बात से इत्तेफ़ाक रखते हैं. इसलिए इस गांव के निवासी एक दूसरे को नाम से नहीं एक ख़ास तरह की सीटी बजाकर बुलाते हैं.

जी हां, सही सुना आपने. मेघालय की हसीन वादियों और जंगलों में कई सुरीली आवाजे़ें सुनीई देती हैं. सामान्य लोग इसे पंछियों का कलरव समझ लेते हैं. मगर ये किसी पक्षी की आवाज़ नहीं बल्कि लोगों के आपसी संवाद का हिस्सा है.

मां तय करती है अपने बच्चे के नाम की धुन

ये सब होता है कॉन्गथॉन्ग (Kongthong) नाम के गांव में. पूरी दुनिया से लगभग अलग-थलग पड़े इस गांव में लोग एक-दूसरे को नाम लेकर नहीं बल्कि सीटी बजाकर बुलाते हैं. ये यहां की वर्षों पुरानी परंपरा है.

खासी जनजाती से ताल्लकु रखने वाले इस गांव में जब भी कोई बच्चा पैदा होता है, तो उसका नाम रखने की जगह उसके लिए सीटी की एक नई धुन बनाई जाती है. बच्चे को किस सीटी या धुन से बुलाया जाएगा, ये तय करती है बच्चे की मां. हर सीटी 1 मिनट से कुछ कम समय की होती है और ये पंछियों की आवाज़ों से मिलती-जुलती है.

सदियों पुरानी है ये परंपरा

ख़ास बात ये है कि किसी के मरने के बाद उसके लिए प्रयोग होने वाली सीटी का इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है. खासी समुदाय की देवी मां से जुड़ी हुई इस परंपरा को जींगरवई लॉवई (Jingrwai Lawbei) या ‘कबीले की पहली महिला का गीत’ के नाम से जाना जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि ये परंपरा गांव जितना ही पुराना है और लगभग 5 शताब्दियों से बची हुई है.

साल 2000 में पहुंची बिजली

इस गांव में मुलभूत सुविधाएं भी पहुंचने में काफ़ी लंबा वक़्त लगा. साल 2000 में यहां बिजली पहुंची थी और 2013 में एक कच्ची सड़क. यहां से पास के शहर तक पहुंचने के लिए कई घंटों की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है. यहां के अधिकतर लोगों की कमाई का स्त्रोत बांस है.

इसी गांव के निवासी खांगसित ने कहा-‘जंगल में रहते हुए बात करने के लिए गांव वाले एक-दूसरे के संगीत ‘नाम’ का उपयोग करते हैं, जो प्रकृति से प्रेरित होता. हम काफ़ी बड़े और घने जंगल से घिरी हुई जगह में रहते हैं, जिसके चारों ओर पहाड़ियां हैं. इसलिए हम प्रकृति से जुड़े हुए हैं. हम ईश्वर के अनमोल जीवों के बीच रहते हैं.’

ख़ैर जो भी हो, नाम एक व्यक्ति की पहचान होती है बिना नाम के किसी का भी जीवन निराधार होता है. मगर इस गांव के लोग जिस तरह से सीटी बजाकर एक-दूसरे को बुलाते हैं, वो भले ही आपको अचरज में डालता हो, लेकिन है बड़ा दिलचस्प.