चाहे कितनी कैब कंपनी आ जाएं, हिन्दुस्तान में ऑटो चलने बंद नहीं हो सकते. मेट्रो, Ola, Uber होने के बावजूद ऑटो आज भी टिका हुआ है. साथ ही जमी हुई है ऑटो वालों की मनमर्ज़ी. कहीं जाना हो, उससे पहले ही ऑटो वालों के नखरे शुरू हो जाते हैं.

दिल्ली में ऑटो वालों के साथ वैसे भी कई किस्से होते ही रहते हैं. लेकिन एक किस्सा मैं भी आपके साथ शेयर करने जा रहा हूं जो मुझे आज भी अच्छे से याद है. बात साल 2008 की है ,मैंने नोएडा में नई-नई जॉब शुरू की थी. जुलाई का महीना यानि कि बरसात का मौसम था. ऑफ़िस से जल्दी काम निपटाकर दोस्तों के साथ मूवी देखने का प्लान बनाया था. लेकिन उस दिन सुबह से ही बहुत तेज़ बारिश हो रही थी. फ़िल्म का शो 5:45 बजे का था तो मैं 4:30 बजे ऑफ़िस से निकल गया. किस्मत से उस समय बारिश कम हो रही थी. लेकिन सड़कों पर पानी भर गया था, ऐसे में बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था. उस समय नोएडा में मेट्रो भी नहीं चलती थी, न ही Ola और Uber हुआ करती थी. ऐसे में ले देकर ऑटो ही एकमात्र सहारा था. सड़क पर पहुंचा तो देखा कि ऑटो वाले नोएडा फ़िल्म सिटी से सीपी छोड़ने के 100 की जगह 200 से 300 रुपये वसूल रहे हैं.

वो कहते हैं न कि जब भी आप किसी मुसीबत में होते हैं, लोग मतलबी बन जाते हैं. मेरे साथ भी कुछ ऐसे ही हो रहा था. उधर दोस्तों का फ़ोन पर फ़ोन आ रहा था इधर में ऑटो वाले से सीपी छोड़ने की मिन्नत कर रहा था. लेकिन किसी की मजाल कि कोई सीपी चल दे. 5 बजे तक कोई ऑटो नहीं मिला. फिर एक ऑटो वाले से मिन्नतें करने के बाद वो 180 रूपये में जाने को तैयार हुआ.

कुछ ऐसा ही 2018 में भी देखने को मिल रहा है. मेट्रो से मेरे ऑफ़िस पहुंचने में मात्र 10 से 15 मिनट्स लगते हैं लेकिन इसके लिए ऑटो वालों के बहाने सुनने लायक होते हैं. इतने साल बीत गए लेकिन ऑटो वालों की मनमानी आज भी जारी है.

मीटर का नाम सुनते ही ऑटो वालों को जैसे सांप सूंघ जाता है. भले ही मीटर चल रहा हो, लेकिन बहाने ऐसे कि आप अपना माथा पीटने लग जाओगे. इनकी मानसिक शक्ति इतनी तेज़ होती है कि ये सामने से आ रहे शख़्स को पहले ही भांप लेते हैं कि ऑटो से जायेगा कि नहीं. मोल भाव करने से भी समझ जाते हैं कि बंदा इस जगह पर नया है. फिर शुरू होते हैं इनके ड्रामे…
1- मीटर से नहीं जाऊंगा, बैठना है तो बैठो.

2- वहां से वापसी में सवारी नहीं मिलती और चौथी सवारी के एक्स्ट्रा लगेंगे.

3- खुल्ले नहीं थे तो पहले ही बोलकर बैठना चाहिए था.

4- साकेत चले तो जाएंगे लेकिन वहां जाम बहुत लगता है 10 रूपये एक्स्ट्रा लगेंगे.

5- इस साइड जाम बहुत लगता है इसीलिए मैं यहां की सवारी नहीं लेता.

6- ग़लती से अगर इनके ऑटो को पुलिस वाले ने पकड़ लिए, तो उसका ठीकरा भी सवारी पर ही फोड़ेंगे.

7- ऑटो वाला गलती से अगर मीटर से चला भी गया और किराया 66 रुपये हुए, तो भूल जाओ कि 4 रुपये वापस मिलेंगे.

8- मेन रोड से ज़्यादा अंदर जाने के 10 रुपये एक्स्ट्रा लगेंगे.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सारे ऑटोवाले एक जैसे होते हैं. अगर एक दिन ऑटो चलना बंद हो जाए तो पूरा शहर थम सा जाता है. ये ऑटो आज भी हमारी लाइफ़ लाइन हैं.