कहते हैं कि भगवान धरती पर नहीं होते इसीलिए उन्होंने माता-पिता बनाये. जन्म लेने के बाद एक बच्चा सबसे पहले माता-पिता को ही देखता है, उनकी उंगली पकड़कर चलना, उनके साथ खेलना, जीवन का पहला सबक भी वो अपने पेरेंट्स से ही लेता है. लड़का हो या लड़की उसका बेस्ट फ्रेंड उसके पेरेंट्स ही होते हैं. आप चाहे या न चाहें, लेकिन आपके मन की बात वो समझ ही जाते हैं. लेकिन हम फिर भी उनसे अपने कई सीक्रेट्स छुपा ही लेते हैं, जो कहीं न कहीं हमारे मन में ग्लानी के भाव को भर देते है. लेकिन सवाल-जवाब की वेबसाइट quora ने लोगों को मौका दिया कि वो उन बातों को अपने पेरेंट्स के साथ शेयर करें, जो अभी तक उन्होंने छुपाई थीं, या जो वो बता नहीं पाए. ऐसे ही कुछ सीक्रेट्स हम एक-एक करके आपके साथ शेयर करेंगे.

आज हम जिसका सीक्रेट आपके लिए लेकर आये हैं उनका नाम है, Shovan Chowdhury है और वो quora यूज़र हैं.

Shovan Chowdhury

Shovan ने अपनी पोस्ट में लिखा: 

‘मेरी मां हमेशा मुझसे ये पूछती रहती है कि तुम अपने भविष्य के लिए कोई बचत क्यों नहीं करते हो?’

मेरे पापा हमेशा मुझे सुझाव देते हैं कि एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए बचत भविष्य में आने वाली अनिश्चितताओं और परेशानियों को हल करने के लिए बेहद ज़रूरी है. मैं पिछले एक साल से जॉब कर रहा हूं, लेकिन महीने के आखिर में मेरी जेब खाली हो जाती है. देखा जाए तो सच में मेरे पास फ्यूचर लिए कोई सेविंग नहीं है.

मेरे पेरेंट्स को हमेशा लगता है कि मैं फालतू की चीज़ों में पैसा बर्बाद कर रहा हूं. लेकिन न ही मैं सिगरेट पीता हूं और न ही शराब को हाथ लगता हूं. यहां तक कि मैं न ही महंगे कपड़े खरीदता हूं. इसके अलावा मुझे कोई बुरी लत भी नहीं है, जहां मैं पैसा खर्च करता हूं. पिछले एक साल में मैंने अपने ऑफ़िशियल काम के चलते कई Slums (मलिन बस्तियों) का दौरा किया. वहां के लोगों और बच्चों की दयनीय स्थिति देखने के बाद मैंने अपने स्तर पर उन बच्चों के लिए कुछ करने का फ़ैसला किया.

मैं अपने पेरेंट्स को बताना चाहता हूं कि असल में, मैं अपनी सैलरी से उन गरीब बच्चों के लिए पैसे खर्च करता हूं, जिन्हें वास्तव में मदद की ज़रूरत है. मुझे ये जानकर बहुत ही हैरानी हुई कि इन स्लम एरिया में रहने वाले ज़्यादातर बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं और वो तरह-तरह की पेंटिंग्स भी बनाते हैं. मैं नियमित रूप से स्कूल में उनके एडमीशन और फीस के लिए उन्हें पैसे भेजता हूं. इसके अलावा मैं उनके लिए स्टेशनरी आइटम्स जैसे किताबें, पेंसिल, कलर्स आदि खरीदता हूं. ऐसा करके मुझे बहुत खुशी मिलती है और आत्म संतुष्टि महसूस करता हूं.

मगर मैंने इसके बारे में अपने पेरेंट्स, रिश्तेदार या किसी भी दोस्त को नहीं बताया है. इसके बारे में कोई नहीं जानता है. ये पोस्ट लिखने से कुछ मिनट पहले ही एक बच्चे की मां का मेरे पास कॉल आया और उन्होंने बताया कि Shovan भाई मेरी बेटी सादिया अपनी क्लास में फ़र्स्ट आई है. सादिया की मां अपनी बेटी की इस सफ़लता के बारे में रोते हुए मुझे बता रहीं थी, उनकी आवाज़ के बजाये मुझे उनका रोना ज्यादा सुनाई दे रहा था. लेकिन ये बात सुनकर मैं कुछ देर के लिए शांत हो गया और क्योंकि मैं अपनी ख़ुशी ज़ाहिर नहीं कर पा रहा था, पर मैं इतना खुश था कि जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है.

उसके बाद मैं अपने कमरे की बालकनी में एक कप चाय लेकर बैठा. बालकनी से, मैंने एक 4-5 साल की एक बच्ची को देखा जो सड़क पर पड़े कूड़े को बीन रही थी. उसके शरीर पर एक फटी हुई पेंट के अलावा कुछ नहीं था, यहां तक कि उसने पैरों में भी कुछ नहीं पहना था. वास्तव में तो इस उम्र में उसे दूसरे बच्चों की तरह अपनी गुड़िया के साथ खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने में बिज़ी होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि अपना पेट भरने के लिए वो लोगों से भीख मांग रही है, या कूड़ा बीन रही है. ये देखकर कि इन बेघर और बेसहारा बच्चों को पूरे दिन खाने के लिए कुछ नहीं मिलता है, पढ़ाई कहां से करेंगे. ये बहुत ही दुखदायी है. इस छोटी सी बच्ची को ऐसे हालात में देख कर मुझे अन्दर तक खालीपन और लाचारी महसूस हुई.

इसके साथ ही Shovan लिखते हैं, ‘मम्मी-पापा, मुझे माफ़ कर दीजिये. लेकिन मैं ऐसा ज़िम्मेदार व्यक्ति नहीं बनना चाहता हूं, जो सिर्फ अपने भविष्य के लिए पैसे बचाए.’

Shovan ने अपनी इस छोटी सी पोस्ट के ज़रिये एक बहुत बड़ा और सार्थक सन्देश दिया है. हमारे देश में भुखमरी और अशिक्षा बढ़ती जा रही है. इस दौड़ती-भागती ज़िन्दगी में हर कोई दूसरे से आगे निकलने की रेस में भाग रहा है, लेकिन देश का भविष्य अन्धकार की गर्त में जाता दिख रहा है. अगर देश का हर समर्थ युवा एक गरीब बच्चे की ज़िम्मेदारी उठा लें तो शायद हम उज्वल भविष्य के साथही पूर्ण रूप से साक्षर देश का निर्माण कर पायेंगे.

धन्यवाद Shovan, और आपको आपके इस सराहनीय कदम के लिए ढेरों शुभकामनाएं!