प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है पत्रकारिता और इस स्तंभ के संरक्षक होते हैं पत्रकार. UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दशक में 827 पत्रकार ड्यूटी पर अपनी जान गंवा चुके हैं. ये वो लोग हैं, जो आप तक ख़बरें पहुंचाने के लिए अपनी जान तक जोख़िम में डाल देते हैं. 1992 से अब तक करीब 40 भारतीय पत्रकार ईमानदार पत्रकारिता के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. ये हैं वो पत्रकार, जो सच के लिए क़ुर्बान हो गए.

1. रामचन्द्र छत्रपति

राम रहीम को Expose करने के लिए 4 अक्टूबर, 2002 को इनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी.

2. अक्षय सिंह, आज तक

4 जुलाई, 2015 को व्यापम घोटाले की जांच करते हुए मृत्यु हुई.

3. उमेश राजपूत, नई दुनिया

High Profile लोगों के ग़ैरक़ानूनी कामों की जानकारी होने के कारण, जनवरी 2011 में गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी.

4. संजय पाठक

13 अगस्त को यूपी के फ़रीदपुर में हत्या.

5. संदीप कोठारी

अवैध खनन पर लिखने के कारण जून 2015 को महाराष्ट्र के वर्धा में मृत्यु.

6. हेमंत यादव, TV24

अक्टूबर 2015 में अवैध खनन पर रिपोर्टिंग करते हुए धीना में मौत.

7. जागेन्द्र सिंह

8 जून, 2015 को अवैध खनन पर लिखने के कारण यूपी के शाहजहांपुर में हत्या.

भले ही इनकी मौत शहादत नहीं कहलाती, लेकिन ये क़ुर्बानी होती समाज के लिए ही है. हमें गर्व है ऐसे पत्रकारों पर!