र्म का सीधा अर्थ होता है, ‘ आपसी भाईचारा और शांति स्थापित करना.’ किसी ने सही भी कहा है कि मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना. लेकिन, राजनीति और सत्ता के लालच में चंद जयचंदो ने इस शब्द की परिभाषा को ही बदल दिया है. वहीं कुछ लोग ऐसे हैं, जो आपसी सौहार्द्रता को अभी भी तवज्जो देते हैं. शुक्रवार को आंध्र प्रदेश नए साल उगाड़ी के मौके पर बड़ी तादाद में मुस्लिमों ने यहां के श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में जमा हो कर पूजा अर्चना की. इनमें पुरूषों के अलावा, बुर्का पहने कुछ महिलाएं भी शामिल थीं. आइए आपको इस पूरे मामले को समझाते हैं.

“तुम राम कहो, वो रहीम कहें,दोनों की ग़रज़ अल्लाह से है.तुम दीन कहो, वो धर्म कहें,मंशा तो उसी की राह से है”   (अज्ञात)

शुक्रवार को तेलुगू कैलेंडर के हिसाब से स्थानीय लोगों ने नववर्ष मनाया.

इस पर्व में हर चौथा आदमी मुसलमान था

मुस्लिम अपने देवता की पूजा अर्चना के लिए दही, गुड़, चना और हल्दी लेकर आए थे

स्थानीय मुसलमान पारंपरिक तौर पर वेंकटेश भगवान को मानते हैं

ये उन लोगों के लिए जो समाज को तोड़ते हैं

“यह देख कर पतंगें भी हैरान हो गयींअब तो छतें भी हिन्दु-मुसलमान हो गयींचलो मिलते हैं मिल-जुलकर वतन पर जान देते हैंबहुत आसान है कमरे में वन्देमातरम कहना”   (अज्ञात)

एक तरफ का राजनीतिक हिन्दुत्व और दूसरी तरफ का अरबी इस्लाम. और इन दोनों के बीच उस्तरा लेकर बैठा नफ़रती ”सेक्युलर बंदर.” समाज के यही तीन सबसे बड़े दुश्मन हैं. अगर ये लोग दूर रहें तो समाज लड़-झगड़ कर भी अपने मेल-जोल का ज़रिया खोज लेता है.

News Source: The News Minute