आपने महसूस किया होगा कि कई बार आप कुछ करने जा रहे होते हैं, मगर तभी मन में से लगातार एक आवाज़ चीख़-चीख़ कर बोल रही होती है कि ‘ये करो, ये करो.’ 

मन की आवाज़ या गट फ़ीलिंग एक ऐसी आवाज़ है जिसको हम अगर ज़्यादा दिमाग़ लगाए बिना सुनें, तो अधिकतर मामलों में हमारा निर्णय सही ही होता है. यही नहीं हमारी ये मन की आवाज़ कई बार हमसे ऐसे भी काम करवा लेती है, जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं होता है. या ये कहलें कि ज़्यादा सोचने पर ऐसे कामों को हम नकार देते हैं. 

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मैंने अपने जीवन में कई बार अपने मन की सुनी है हां कभी झिझकते- झिझकते ही सही मगर सुनी है. और उसे परिणाम हमेशा ही अच्छे हुए हैं. लेकिन एक बार मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ है जो हमेशा मुझे इस बात का एहसास दिलाता रहता है, कि मुझे अपने मन की आवाज़ को कभी अनसुना नहीं करना चाहिए. 

मुझे हमेशा ही डांस का शौक रहा है इसके चलते मैंने बचपन से ही काफ़ी सारी जगह डांस परफ़ॉर्म भी किया है और कई क्लासेज भी जाती हूं. 

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एक बार किसी डांस ग्रुप या कंपनी ने मेरे पापा को कॉल किया था कि आप अपनी बेटी को हमारे ग्रुप का हिस्सा बनाएं. हम दुनिया भर में डांस शोज़ करते हैं. पापा ने उस समय तो मना कर दिया. मगर वहां से एक-दो बार और कॉल आने पर पापा मुझे वहां ले गए. 

उनका एक डांस स्टूडियो था, जहां उन्होंने मुझे प्रैक्टिस करने के लिए बुलाया था. मैं अब वहां पहले ही दिन गई थी, मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था. अंदर से बार-बार आवाज़ आ रही थी कि ये सही नहीं है. वहां कुछ ठीक सा नहीं लग रहा था. मेरे अंदर की वही गट फ़ीलिंग मुझे चेता रही थी. 

मैं शाम को जब घर गई तो मैंने पापा से जाकर साफ़-साफ़ बोला कि मुझे वहां अच्छा नहीं लग रहा मैं वहां नहीं जाउंगी. पापा ने मुझसे कई बार पूछा कि कुछ हुआ तो बताओ. मगर मेरा यही जवाब रहता कि बस मन से सही नहीं लग रहा. 

ख़ैर, पापा ने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया और मैंने अगले ही दिन से वहां जाना छोड़ दिया.     

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कई दिनों बाद हमें पता चलता है कि वो डांस ग्रुप एक सेक्स रैकेट चलाता है. ये सुनते ही मैं सुन्न हो गई.     

उस दिन वास्तव में मुझे मेरी मन की आवाज़ ने बचा लिया था.