आज का विज्ञान पुराणों का लोहा मानता है. वो तरीके, जिनके लिए आज के वैज्ञानिक जूझ रहे हैं, कहीं न कहीं उनका इस्तेमाल त्रेता और द्वापर युग में हो चुका है. आज की Technology हमारी पौराणिक कथाओं की मुरीद है. पौराणिक मान्यताएं और आधुनिक तकनीक की तुलना पर बहस और आलोचना हो सकती है, पर इसे नज़अंदाज़ नहीं किया जा सकता. हमने पुराणों की कुछ उल्लेखनीय वास्तुकला, कलाकारी, चमत्कार या महज़ मान्यता की तुलना आज की तकनीक से की है. अगर आप इससे सहमत हैं तो इसे शेयर ज़रूर करें.
1. पुष्पक विमान Vs हवाई जहाज
रावण का पुष्पक विमान आज के हवाई जहाज के लिए बड़ा सवाल है. रामायण में इसका प्रयोग सीता हरण और लंका दहन के बाद श्रीराम द्वारा लंका से अयोध्या तक आने के लिए किया गया था. पुराणों के अनुसार पुष्पक विमान भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्मा जी के लिए बनाया था, जिसे बाद में ब्रह्मा जी ने धन के देवता कुबेर को दे दिया था. कुबेर रावण का सौतेला भाई थे, रावण ने पुष्पक विमान कुबेर से छीन लिया था. महर्षि भारद्वाज की किताब ‘वैमानिक शास्त्र’ में रामायण के वक्त 120 विमानों का ज़िक्र है. रावण की लंका में 6 हवाई अड्डे थे.
Veragntota श्रीलंका की Sinhalese भाषा में इसका मतलब, वो जगह है जहां हवाई जहाज रखे जाते हों.
Thotupola Kanda – Thotupola का मतलब बंदरगाह होता है. वो जगह जहां से यात्रा प्रारंभ होती हो. Kanda मतलब पहाड़. Thotupola Kanda का मतलब समुद्री स्तर के 6 हज़ार फीट ऊपर समतल भूमि.
Variapola- ये वो जगह है, जहां से विमान उड़ते और लैंड करते थे.
Gurulupotha – सिनहाला भाषा में इसका मतलब चिड़िया होता है.
Southern Coastline Usangoda
Variapola (Kurunegela)
2. ब्रह्मास्त्र Vs परमाणु बम
ये दिव्यास्त्र ब्रह्मा जी का सबसे मुख्य अस्त्र माना जाता है. मान्यतानुसार इसके एक बार चलने पर प्रतिद्वन्दी के साथ-साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो सकता था. साथ ही प्रभावित क्षेत्रों में 12 साल तक अकाल पड़ सकता था. इस ब्रह्मास्त्र का प्रयोग त्रेता और द्वापर युग में हो चुका है. इसे श्रीराम ने समुद्र सुखाने के लिए निकाला था, बाद में समुद्र देवता के माफ़ी मांगने पर श्रीराम ने इसे ध्रुमतुल्य की ओर छोड़ दिया था जो आज के समय का राजस्थान है. इसके अलावा ये इंद्रजीत, विश्वामित्र और महाभारत के वक्त अर्जुन और अश्वस्थामा द्वारा भी इस्तेमाल हुआ था. आज के ज़माने के इतना शक्तिशाली परमाणु बम ही है. परमाणु बम इतिहास में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी में छोड़े गए थे, जिससे करीब 1 लाख 30 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी.
3. राम सेतु Vs आम सेतु
पौराणिक मान्यतानुसार, 30 किलोमीटर का राम सेतु मात्र 5 दिन में बना दिया गया था. रामायण के अनुसार, नल और नील ने इन पत्थरों पर ‘राम’ लिख कर इन्हें समुद्र में छोड़ा था, जिसके बाद ये पानी पर तैरने लगे थे. कुछ सालों पहले आई सुनामी में राम सेतु के कुछ पत्थर पानी में तैरते दिखाई दिए. वैज्ञानिकों के अनुसार, उस वक्त सेतु बनाने के लिए चूने के पत्थर इस्तेमाल हुए थे. अब ये चूने के पत्थरों का कमाल है कि वो तैरने लगे पानी पर, या कोई चमत्कार क्योंकि पहले श्रीराम समुद्र सुखाने जा रहे थे और बाद में समुद्र देवता के माफी मांगने और रोकने के बाद ये पत्थर तैरे थे. आज की Technology के लिए इतना बड़ा पुल मात्र 5 दिन में बनाना असंभव है.
4. समुद्र मंथन Vs तेल रिग
समुद्र के सीने में कितने खनिज पदार्थ और मूल्यवान वस्तुएं मौजूद हैं, इसकी खोज वैज्ञानिकों ने नहीं की. पुराणों में समुद्र मंथन का वर्णन है, जिसके दौरान समुद्र से 14 रत्न निकले थे. अमृत की चाह में देवताओं और दानवों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था. मंथन में समुद्र से अमृत के साथ कई चीज़ें निकली थीं. आज के समय में इसकी तुलना हम तेल रिग द्वारा समुद्र से कच्चा तेल और बाकी पदार्थ निकालने की तकनीक से कर सकते हैं.
इन उदाहरणों से ये तो साबित होता है कि आज की तकनीक चाहे जितनी भी Advance क्यों न हो, लेकिन हज़ारों साल पहले हमारे पूर्वज तकनीक के मामले में हमसे कहीं बेहतर थे. आज हम जिन चीज़ों का आविष्कार कर के ‘विज्ञान युग’ में जीने के दावे करते हैं, वो युगों पहले मौजूद थीं.
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Illustrations by- Anish Shaidima Khashiba Daolagupu