संडे मतलब फ़न डे! 

हम सभी की ज़िंदगी में संडे वो ख़ुशनुमा दिन होता है, जिसका हमें बेसब्री से इंतज़ार रहता है. हफ़्ते के 6 दिन काम करने के बाद हर किसी के लिए रविवार की छुट्टी का एक अलग ही अनुभव होता है. लेकिन क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि भारत में रविवार की छुट्टी किस व्यक्ति ने दिलाई थी? 

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तो चलिए आज आपको उस व्यक्ति की के बारे में जानकारी दे देते हैं जिनकी वजह से हम भारतीयों को ‘रविवार की छुट्टी’ हासिल हुई थी. तो इन महापुरुष का नाम नारायण मेघाजी लोखंडे था. वो जोतीराव फ़ुलेजी के ‘सत्यशोधक आन्दोलन’ के कार्यकर्ता और कामगार नेता थे. 

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दरअसल, अंग्रेज़ों के समय में हफ़्ते के सातों दिन मज़दूरों को काम करना पड़ता था. नारायण मेघाजी लोखंडे जी का ये मानना था कि हफ़्ते में सातों दिन हमें काम करना पड़ता है. लेकिन जिस समाज की बदौलत हमें नौकरियां मिली हैं, उस समाज की समस्या छुड़ाने के लिए हमें एक दिन छुट्टी तो मिलनी ही चाहिए.   

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इसके बाद सन 1881 में नारायण मेघाजी लोखंडे ने अंग्रेज़ों के सामने ‘रविवार की छुट्टी’ का प्रस्ताव रखा, लेकिन अंग्रेज़ ये प्रस्ताव मानने के लिए तयार नहीं थे. इसके बाद नारायण मेघाजी लोखंडे जी को इसके लिए आन्दोलन करना पड़ा. ये आन्दोलन दिन, महीने के बाद लगभग 8 सालों तक चलता रहा. आख़िरकार 1890 में अंग्रेज़ों को मजबूरन भारतीय मज़दूरों के लिए ‘रविवार की छुट्टी’ का ऐलान करना पड़ा. 

भारत सरकार ने साल 2005 में उनकी तस्वीर वाली एक डाक टिकिट भी जारी की थी  

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10 जून, 1890 भारतीय इतिहास के लिए बेहद ख़ास दिन था. क्योंकि इसी दिन भारत में पहली बार रविवार को छुट्टी का ऐलान किया गया था. हालांकि, रविवार की छुट्टी’ ये धार्मिक कारण कारण भी प्रचलित हैं.

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हिंदू धर्म के हिसाब से रविवार की छुट्टी को लेकर धार्मिक मान्यता ये है कि हफ़्ते की शुरुआत सूर्य के दिन यानी रविवार से मानी जाती है. इसलिए रविवार सूर्यदेव की सेवा का दिन होता है. 

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वहीं अंग्रेज़ों की मान्यता है कि ईश्वर ने सिर्फ़ 6 दिन ही बनाए थे, इसी वजह से 7वां दिन आराम का होता है. दुनिया में इस दिन छुट्टी की शुरुआत इसलिए हुई, क्योंकि ये ईसाइयों के लिए गिरिजाघर जाकर प्रार्थना करने का दिन होता है. 

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जबकि अधिकतर मुस्लिम देशों में शुक्रवार को इबादत का दिन माना जाता है. इस कारण वहां रविवार की जगह शुक्रवार को ही छुट्टी होती है. हालांकि, ज़्यादातर देशों में रविवार को ही अवकाश माना जाता है. 

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अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था ISO के अनुसार रविवार का दिन सप्ताह का आख़िरी दिन माना जाएगा और इसी दिन कॉमन छुट्टी रहती है. इस बात को 1986 में मान्यता दी गई थी लेकिन इसके पीछे ब्रिटिशर्स को कारण माना जाता है. 

असल में 1843 में अंग्रेज़ों के गवर्नर जनरल ने सबसे पहले इस आदेश को पारित किया था. ब्रिटेन में सबसे पहले स्कूली बच्चों को रविवार की छुट्टी देने का प्रस्ताव दिया गया था. इसके पीछे कारण दिया गया था कि बच्चे घर पर रहकर कुछ क्रिएटिव काम करें.