Shardiya Navratri 2021: शारदीय नवरात्री (Shardiya Navratri) के पावन पर्व की शुरूआत हो चुकी है. हांलाकि, इस बार हम नवरात्री में बहुत कुछ मिस कर रहे हैं. इसकी वजह तो आप सब जानते हैं कि कोरोना है. कोविड-19 की वजह से इस बार गरबे का शोर भी थोड़ा कम है. इसलिये इस बार हम गरबे की धूम मिस करने वाले हैं. कोई बात नहीं इस बार थोड़ा शांति से नवरात्री सेलिब्रेट करेंगे. पर तब तक ये तो जान ही सकते हैं कि आखिर गरबा (Garba) सिर्फ़ नवरात्री में ही क्यों खेला जाता है? नवरात्री और गरबा में ख़ास कनेक्शन क्या है?

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अगर इस बारे में अब तक नहीं सोचा है, तो अब इसके बीच का ख़ास कनेक्शन जान लीजिये. 

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गुजरात-राजस्थान का परंपारिक नृत्य है

आज भले ही देशभर में गरबे की धूम देखने को मिलती हो, पर असल में ये गुजरात-राजस्थान (Gujrat-Rajasthan) का परंपारिक नृत्य है. इसके अलावा ये इन दोनों ही राज्यों में काफ़ी फ़ेमस भी है. गरबा के लिये लोग ख़ास तरह के पारंपरिक परिधान भी पहनते हैं. लड़कियों के लिये चनिया-चोली, तो लड़के केडिया और सिर पर पगड़ी पहनते हैं. 

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नवरात्री में ही क्यों खेलते हैं गरबा? 

इसका जवाब भी मां दुर्गा ही हैं. ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा को नृत्य काफ़ी पसंद है. इसलिये नवरात्रि में मां दुर्गा को ख़ुश कर उनका आर्शीवाद पाने के लिये गरबा खेलते हैं. इसके साथ ही इसे सौभाग्य का प्रतीक भी समझा जाता है. 

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गरबा खेलने के लिये एक समूह एकत्रित होता है. वहीं मां को प्रसन्न करने के लिये लोग गरबा में चुटकी, खंजरी, डंडा, डांडिया और ताली का इस्तेमाल भी करते हैं. 

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क्या है इसका इतिहास?

ऐसा भी कहा जाता है कि गरबा का इतिहास 70 दशक पुराना है. आज़ादी से पहले गरबा शान-ओ-शौक़त और एंटरटेनमेंट के लिये खेला जाता है. वहीं आज़ादी के बाद गुजराती लोगों ने इसे दुनियाभर में फ़ेमस करने का निर्णय लिया और ये कर भी दिखाया. 

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गरबा से जुड़े दोनों तथ्य हमने आप तक पहुंचा दिये पर अगर इसके अलावा भी आपको गरबा के बारे में कुछ पता है, तो कमेंट में बता सकते हैं. 

जय माता दी!