केरल भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. पर्यटन यहां के लोगों की आय का मुख्य साधन है. पिछले दिनों आयी भयंकर बाढ़ से इस राज्य को अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है. भले ही बाढ़ का असर अब कम हो गया हो, लेकिन केरलवासी शायद ही इस कड़वी याद को कभी भूल पाएंगे. इस प्राकृतिक आपदा में अपना सब कुछ खो चुके केरल वासियों को एक बार फिर अपनी ज़िंदगी नए सिरे से शुरू करनी होगी.

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केरल के सभी प्रमुख पर्यटन स्थल बुरी तरह से तहस-नहस हो चुके हैं. इससे उबरने में कम से कम 1 साल का वक़्त लगेगा. मुन्नार केरल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में एक है. ये हिल स्टेशन अपनी ख़ूबसूरती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है, लेकिन विनाशकारी बाढ़ में ये भी बच नहीं पाया. 2 महीने पहले तक जिस मुन्नार की सड़कें पर्यटकों से गुलज़ार हुआ करती थी, वहां आज ख़ामोशी पसरी हुई है.

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इन सब मुसीबतों के बावजूद केरल वासियों के लिए नीलकुरुंजी का फूल खुशियां लेकर आया है. ये फूल 12 साल में एक बार खिलता है, लेकिन विनाशकारी बाढ़ के बावजूद नीलगिरि की पहाड़ियों पर नीलकुरुंजी ने दस्तक दे दी है. ये फूल एक बार फिर केरलवासियों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है.

जब भी नीलकुरुंजी के फूल नीलगिरि की पहाड़ियों पर दस्तक देते हैं, मुन्नार आने वाले सैलानियों की संख्या तीन गुनी बढ़ जाती है. बाढ़ से पहले भी लाखों पर्यटक इन फूलों को देखने मुन्नार आये थे. पिछले एक महीने से यहां पर्यटक तो दूर की बात आम लोग भी जीने की राह तलाश रहे हैं. ऐसे में इस फूल का खिलना बाढ़ पीड़ितों की मुश्किलों को कम करने का एक अच्छा संकेत है.

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कुछ समय पहले तक रजामला, टॉप स्टेशन, कंथालूर और वत्तावाड़ा की जो पहाड़ियां बारिश और धुंध से भरी हुई थी, वो एक एक बार फिर से नीलकुरुंजी के फूलों से भर चुकी हैं. मौसम बदलने के साथ ही ये फूल अन्य इलाक़ों में भी खिलने लगेंगे और अक्टूबर अंत तक ये फूल खिले रहेंगे.

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समय के साथ केरल के मौसम में भी सुधार हो रहा है ऐसे में लोगों की ज़िंदगी एक बार फिर से सामान्य होने लगी है. ऐसे में कहा जा सकता है कि जल्द ही यहां पर्यटकों का आना-जाना भी शुरू हो जायेगा. 

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साल 2006 में ‘नीलकुरुंजी’ के फूलों को देखने के लिए 3 लाख पर्यटक मुन्नार आये थे. मुन्नार के ‘एराविकुलम नेशनल पार्क’ में नीलकुरुंजी के फूलों को देखने के लिए टिकट ऑनलाइन भी ख़रीदी जा सकती हैं. टिकट की कीमत वयस्‍कों के लिए 120 रुपये, बच्‍चों के लिए 90 रुपये, जबकि विदेशी नागरिकों के लिए 400 रुपये है.

भारत में ‘नीलकुरुंजी’ के फूल की कुल 46 प्रजातियां हैं, जिनमें से सर्वाधिक प्रजातियां मुन्नार में ही पायी जाती है.