दुनिया भर के वैज्ञानिक और शोधकर्ता आये दिन ब्रह्माण्ड, धरती के नीचे और बर्फ़ के पिघलने को लेकर कई तरह के खुलासे और इनसे जुड़े दावे करते आ रहे हैं. आये दिन पृथ्वी पर कुछ न कुछ अजीब हो रहा है. साल 2000 के आस-पास से ही ऐसी ख़बरें आने लगीं थीं कि North Rotational Pole यानि कि उत्तरी घूर्णी ध्रुव बहुत ही तीव्र गति से पूर्व दिशा की ओर खिसक रहा है.

किसी भी पोल का घूर्णन अक्ष लगातार प्रवाह में होता है, जिसके कारण इसकी स्थिति बदलती रहती है, पर दिशा नहीं. पृथ्वी पर होने वाले के झटकों के कारण इन जगहों पर कोई न कोई परिवर्तन तो होता है, लेकिन वो बहुत ज़्यादा नहीं होता. करीब 15 साल पहले उत्तरी ध्रुव ने रहस्यमयी ढंग से अपनी दिशा बदलना शुरू किया था, ये पिघलती बर्फ़ की चादर के साथ Greenwich meridian की ओर निरंतर बढ़ रहा है.

North Rotational Pole की बदलती स्थिति का प्रमुख कारण जलवायु प्रदूषण को माना जा रहा है. लेकिन जब नासा के वैज्ञानिक उत्तरी ध्रुव में होने वाले इस नाटकीय परिवर्तन की वजह जानने के लिए वहां पहुंचे और उन्होंने जो पाया वो बेहद चौंकाने वाला है.
वैज्ञानिकों ने नासा के GRACE Satellites के डाटा का इस्तेमाल ये जांचने के लिए किया कि क्या ज़मीन के नीचे के पानी और Pole के विस्थापन के बीच कोई संबंध है या नहीं, और जांच के बाद पाया गया कि हां इससे इसका सीधा सम्बन्ध है.

NASA के Jet Propulsion Lab में कार्यरत Surendra Adhikari, उनके सहकर्मियों और साथ ही Co-author Erik Ivins का मानना है कि ये विस्थापन यूरेशिया, कैस्पियन सागर और भारत की झीलों का भारी मात्रा में पानी सूखने के कारण है.
इसके साथ ही वो कहते हैं, ‘ऐसा पहली बार है कि जब हमारे पास ठोस सबूत हैं कि वैश्विक स्तर पर जमीन के जल वितरण में बदलाव भी घूर्णन की दिशा को भी बदल देता है.’ पिछले कई दशकों में यूरेशिया, जो यूरोप और एशिया के बीच स्थित है, ने पानी की कमी का अनुभव किया.

एक निश्चित समय के दौरान पूरे यूरेशिया में जल निकायों के गायब होने की मात्रा बढ़ गई है, और वहीं इंसानों ने पंपिंग के माध्यम से बड़ी मात्रा में ज़मीन का पानी निकाल लिया है, जिस कारण कुछ जगहों का पानी सूख गया है और कुछ जगहें गीलीं हो गई हैं. गायब हुए जल निकायों और पिघलती बर्फ़ का कॉम्बिनेशन Pole के इस नाटकीय विस्थापन का कारण है.
नासा के अनुसार, यूरेशिया के अरल सागर (Aral Sea), जो अब वास्तव में मानव गतिविधियों के कारण सूख चुका है. वहीं Adhikari ने महसूस किया कि Spin Axis, 45 डिग्री अक्षांश के आसपास होने वाले परिवर्तनों के लिए विशेष रूप से कमजोर है और जिसका सीधा सम्बन्ध भारत में हो रहे जलवायु परिवर्तनों से जुड़ा हुआ है.
1899 से शोधकर्ता और वैज्ञानिक तारों की स्थिति के आधार पर इन Poles की स्थिति को सही तरीके से मापने का प्रयास करते रहे हैं. हालांकि, पिछले कई दशकों से Satellite Telemetry की मदद से इसका प्रयास किया जा रहा है. शोधकर्ताओं के अनुसार, 21वीं सदी से पहले, इस Pole की स्थिति Canada में Hudson Bay के आसपास थी और एक साल के अंदर ये केवल 7 सेमी की दर से बदली थी, लेकिन इस बदलाव के सम्बन्ध में माना गया था कि ये लॉरेंटैड बर्फ़ की चादर (Laurentide ice sheet) के पिघलने के कारण हुआ था, जो Canada और US को बर्फ़ से ढंक देती थी और वो आखिरी हिमयुग था.

इस घटना के बाद से ही Axis Spin ने अपनी दिशा को बदला और ये पूर्व में स्थित Greenwich Meridian की ओर बढ़ने लगा. गौर करने वाली बात है कि अब ये अपनी पहले की गति से दोगुना तेज़ी के साथ आगे बढ़ रहा है.
हर किसी को परेशान करने वाली इस खोज के बावजूद, अच्छी खबर ये है कि अब वैज्ञानिक Pole के दिशा परिवर्तन की भविष्यवाणी कर सकते हैं और इसके मूवमेंट को ट्रैक कर सकते हैं.