दोस्तों के बीच मस्ती-मज़ाक चलता रहती है. इधर-उधर की बातें होते रहती है, तभी कुछ ऐसी चीज़ो का ज़िक्र हो जाता है कि सब बचपन की यादों में चले जाते हैं. लंबी सांस लेकर कोई एक बोलता है- वो भी क्या दिन थे यार!  

सबका नॉसटैलजिया (यादें) अलग-अलग होती हैं. कोई पतंगें उड़ा कर बड़ा हुआ है, तो कई कबड्डी में घुटने फुड़वा कर. सबकी बातें तो नहीं लिखी जा सकतीं इसलिए कुछ कॉमन चीज़ों का ज़िक्र निकालते हैं, जो सबके लिए नॉसटैलजिया का काम करती है.  

1. दूरदर्शन  

YouTube

भारत में नॉसटैलजिया का दूसरा नाम ही दूरदर्शन हैं. शक्तिमान, चित्रहार, रविवार की फ़िल्में और पता नहीं कितना कुछ था दूरदर्शन के पास. इसके हर एक प्रोग्राम की एक झलक नॉसटैलजिया में ले जाती है.  

2. कुमार सानू  

BBC

हमारे लिए नॉसटैलजिया मतलब 90’s का दौर और 90’s मतलब कुमार सानू के गाने.  

3. अमरीश पुरी  

Filmy Keeday

बचपन में हम इतने अच्छे अभिनेता को सिर्फ़ फ़िल्मों में विलेन का किरदार करते देख बुरा इंसान मान बैठे थे.  

4. VLC Player  

JUNKYPEDIA

जब भी रोड पर वो प्लास्टिक की लंबी टोपी दिखती है, तो उसे देख कर आज भी VlC मीडिया प्लेयर की याद आ जाती है.  

5. 1 DVD में 5 फ़िल्में  

Gumtree

10 रुपया भाड़ा देकर दो दिन के लिए ये DVD घर पर आती थी लगातार पांच फ़िल्में हाउस फुल चलती थी.  

6. सविता भाभी  

Times of India

इनके बारे में ज़्यादा जानकारी देने की ज़रूरत महसूस नहीं होती.

7. गली क्रिकेट  

Sportskeeda

दीवार पर लकीर खींच कर विकेट बनाना और छक्के मारना पर आऊट हो करार देना, ये पूरे देश के गली क्रिकेट का नियम था.  

8. अचार  

Scroll.in

अचार तो आज भी खाते हैं और आज भी घरों मे अचार बनता ही है लेकिन पता नहीं क्यों इसके साथ एक अनजान बचपन की कहानी होती है जो सबको नॉसटैलजिया वाली फ़ीलिंग देती है.  

9. पोलियो  

IBC24

‘दो बूंद ज़िंदगी की’ रट्ट गया था सबको. अमिताभ बच्चन जी आते थे और सबको चेता कर जाते थे कि एक भी बच्चा नहीं छूटना चाहिए.  

10. स्टूडियो में फ़ोटो खिंचाना  

Philip Gostelow

सेल्फ़ी के ज़माने में पासपोर्ट साइज़ की फ़ोटो निकलवाने जब भी स्टूडियो जाना पड़ता है तब मन नॉसटैलजिया-नॉसटैलजिया हो जाता है.  

इनके अलावा और कौनसी चीज़ें हैं जो अपको नॉसटैलजिया की दुनिया में ले जाती हैं?