अब तक आपने इंटरनेट हैकिंग के बारे में सुना था जिसके ज़रिए हैकर्स आपके बैंक अकाउंट या फिर ज़रुरी जानकारियां हैक कर लिया करते थे. लेकिन अब आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हैकर्स आपके कमरे में लगे Light Bulb के ज़रिए बेडरूम की हर बात सुन सकते हैं.  

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जानें आख़िर ऐसा कैसे हो रहा है? 

दरअसल, एक रिसर्च में पता चला है कि हैकर्स कई तरह की स्मार्ट डिवाइसेज़ के ज़रिए लोगों के बेडरूम की जासूसी कर रहे हैं. अब तक हमने स्मार्टफ़ोन, स्मार्ट TV, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट फ़्रिज़ या स्मार्ट माइक्रोवेव के ज़रिए डेटा लीक होने के बारे में सुना था. लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि बेडरूम की जासूसी के लिए लाइट बल्ब का स्मार्ट होना ज़रूरी नहीं है. आपके कमरे में लगे साधारण बल्ब से भी आपकी जासूसी की जा सकती है.  

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इज़राइल की Ben-Gurion University और Weizmann Institute of Science के रिसर्चर ने एक अनोखा तरीका विकसित किया है, जिससे सिर्फ़ लाइट बल्ब को देखने पर कमरे की बातों को सुना जा सकता है. रिसर्चर्स ने इसे Lamphone अटैक का नाम दिया है.  

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इस रिसर्च में बताया गया है कि, लाइट बल्ब के वाइब्रेशन से रियल टाइम पैसिव रिकवरी, साउंड के ज़रिए कम हो रही है. बातचीत को 25 मीटर की दूरी से सुना जा सकता है. इस अटैक को ‘रिमोट इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर’ के ज़रिए ऑपरेट किया जाता है, ताकि लाइट बल्ब के साउंड के प्रति फ़्रीक्वेंसी रिस्पॉन्स को एनालाइज़ किया जा सके. लाइट बल्ब की फ़्रीक्वेंसी और वाइब्रेशन से कलेक्ट किए गए ऑप्टिकल माप से साउंड को रिकवर किया जा सकता है.  

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रिसर्चर ने लाइट बल्ब से ऐसे सुनीं बातें 

दरअसल, रिसर्चर्स ने Lamphone अटैक को एक ऑफ़िस बिल्डिंग में टेस्ट किया. यहां पर परदों वाली दीवार और लटकने वाला 12 Watt का E27 LED Bulb मौजूद था. ध्यान रहे कि ये कोई स्मार्ट बल्ब न हों. इस दौरान ब्रिज पर अलग-अलग लेंस डायमीटर (10, 20, 35cm) वाले तीन टेलीस्कोप रखे. SNR जो हर टेलीस्कोप से प्राप्त ऑप्टिकल माप से प्राप्त किया गया था और माइक्रोफ़ोन से प्राप्त ध्वनिक माप को अगले ग्राफ़ में भेजा गया. इससे मिले रिजल्ट से इक्वालाइज़र बनाया गया. 

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बताया जा रहा है कि रिसर्चर्स की इस टीम में बेनगुरिअन युनिवर्सिटी के Ben Nassi, Yaron Pirutin, Yuval Elovici और Boris Zadov नाम के रिसर्चर जबकि वाइज़मान इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस के Negev और Adi Shamir शामिल थे. 

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इस दौरान इस टीम ने बताया कि ये तरीका इतना सटीक है कि पायी गई आवाज़ को ऑडियो डिस्कवरी ऐप में भी प्ले किया जा सकता है. ‘शाज़म’ एक ऐसी ऐप है, जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए म्यूज़िक ट्रैक को समझ लेती है और सिर्फ़ म्यूज़िक से गाने को पहचान लेती है.