देश-दुनिया में ऐसे कई इलाके हैं, जहां अभी भी बड़ी आबादी के पास पानी तक सुलभ पहुंच नहीं है. इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने इस मसले को हल करने की तरफ़ एक कदम बढ़ाया है.

युनिवर्सिटी ऑफ़ मेनचेस्टर ने पानी से नमक को अलग करने का तरीका ढूंढ निकाला है. जिससे समुद्र का पानी भी पीने लायक बन सकता है. इस टीम में वो वैज्ञानिक भी काम कर रहे हैं, जिन्हें 2010 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.दुनिया के कई देश और शहर पानी के समस्या से जूझ रहे थे. इस तकनीक के विकास से बहुत बड़ी जनसंख्या पर असर पड़ेगा. सयुंक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, 2025 तक विश्व की 14 प्रतिशत आबादी साफ़ पानी के किल्लत में रहेगी.

इस टीम के हेड राहुल नायर ने बताया कि ये एक बहुत ज़रूरी और महत्वपूर्ण क़दम है. इससे नई संभावनाएं विकसित होंगी. इनकी शोध Nature Nanotechnology शोध पत्रिका में छपी है.