2 साल पहले, केरल में ख़तरनाक निपाह वायरस फैला था. इस वायरस से ग्रसित लोगों में से लगभग 80% मरीज़ों की मृत्यु हो गई थी. इस वायरस की चपेट में कई लोग आ गये थे और उन्हीं में से एक थीं, एम. अनजान्या. उन्हें 1 हफ़्ते के लिए वेन्टिलेटर पर रखा गया था. ज़िन्दगी और मौत की जंग में अनजान्या की जीत हुई और वो इस वायरस से ठीक होने वाली पहली मरीज़ बनीं. उनकी इस रिकवरी को ‘कुदरत का करिश्मा’ कहा गया.
जिस समय अनजान्या निपाह ग्रसित हुईं तब वो एक नर्सिंग इनटर्न थीं. Hindustan Times की एक ख़बर के मुताबिक़, अनजान्या अब एक प्रशिक्षित नर्स हैं और वो कोविड-19 के मरीज़ों की इलाज में सहायता करना चाहती हैं.

मैं कोविड अस्पताल में काम करना चाहती हूं. मुझे पता ही कि हम इस मुश्किल वक़्त से भी ज़रूर जीतेंगे. मुझे अपने प्रोफ़ेशन से अब ज़्यादा प्यार है. बहुत से लोगों ने मेरे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की, मुझे अब वो कर्ज़ उतारना है.
-एम. अनजान्या
अनजान्या के पिता खेत में काम करते हैं और मां, आंगनबाड़ी वर्कर हैं.
मैं ICU वॉर्ड में मरीज़ों की देखभाल कर रही थी, ये मेरी ट्रेनिंग का हिस्सा था. 18 मई को मुझ में लक्षण दिखाई देने लगे और मुझे उसी वॉर्ड में भर्ती किया गया. मुझे बाद में बताया गया कि Lini Puthussery भी उसी वॉर्ड में थीं.
-एम. अनजान्या
Lini Puthussery कि निपाह वायरस से मृत्यु हो गई थी. केरल सरकार ने उनके नाम पर एक अवॉर्ड की घोषणा की.

निपाह वायरस का अब तक कोई इलाज नहीं है. कोविड-19 के दौर ने हमें मौका दिया है कि हम मेडिकल फ़्रैटर्निटी से जुड़े लोगों के आभारी हों लेकिन हम में से कुछ अभी भी उनके साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं. याद रखिए, अनजान्या, Lini जैसे कई नर्स और डॉक्टर अपने बारे में ना सोचकर हमारी सेवा में लगे हैं.