कहते हैं आग में तपकर ही सोना बनता है. मुश्किलों और मुसीबतों का सामना कर रहा एक शख़्स बहुत अच्छे से दूसरों की परेशानियों को महसूस कर सकता है. दूसरों के लिए कुछ करना या बस अपने बारे में सोचना ये तो उस इंसान पर निर्भर करता है.
मल्लेश्वर ने मेहनत से अपनी ज़िन्दगी बनाई और आज कई लोगों की ज़िन्दगी संवार रहे हैं. मल्लेश्वर और उनकी संस्था ‘Dont Waste Food’ शहर भर से खाना इकट्ठा करते हैं और रोज़ाना 2000 लोगों को खाना खिलाते हैं.
मेरा जन्म निज़ामाबाद के एक परिवार में हुआ और हमारे पास कोई आर्थिक सपोर्ट नहीं था. बचपन में ही मुझे ये एहसास हो गया था कि मुझे अपना और अपने परिवार का ध्यान रखना होगा.
-मल्लेश्वर राव
जब समाज सुधारक हेमलता लावनम की नज़र मल्लेश्वर पर पड़ी तो मल्लेश्वर की ज़िन्दगी बदल गई. मल्लेश्वर ने बताया कि उन्हें सड़क से उठाया गया और उनकी ज़िन्दगी बदल गई. मल्लेश्वर ने अपनी शिक्षा संस्कार आश्रम विद्यालयम में की और 2008 में हेमलता के देहांत तक वहीं रहे.
स्कूल का वातावरण ही हम सबके लिए काफ़ी अलग था. वहां हर तरह के बच्चे थे, हम सब साथ बड़े हुए. सेक्स वर्कर्स के बच्चे, देवदासी सब मेरे साथ पढ़ते. स्कूल में हमें अपने पसंद के विषय में पढ़ाई करने के लिए मोटिवेट किया जाता.
-मल्लेश्वर राव
शिक्षा पूरी करके मल्लेश्वर ने आश्रम में ही टीबी के मरीज़ों की देखभाल करने की नौकरी ले ली. इससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधरी.
मुझे याद है, मैं हैदराबाद आया ही था और प्लेटफ़ॉर्म पर, पेट में खाने के निवाले के बिना ही सोता था. मेरे पास खाने के लिए पैसे नहीं थे.
-मल्लेश्वर राव
दूसरों की मदद करने की इच्छा लिए मल्लेश्वर ने 2012 में Dont Waste Food की स्थापना की.
हमने एक छोटा सा मूवमेंट शुरू किया था और इसे बहुत हवा मिली. आज हम वॉलंटीयर्स की मदद से लगभग 2000 लोगों को रोज़ खाना खिलाते हैं.
-मल्लेश्वर राव
मल्लेश्वर का ये मूवमेंट अब नई दिल्ली, रोहतक और देहरादून तक पहुंच गया है.