सैकड़ों साल पहले देश की नदियां ही लोगों की प्यास बुझाने का काम किया करती थीं, लेकिन आज देश में नदियों की हालत कैसी है ये हर कोई जनता है. आज देश की नदियां इस क़दर गंदी हो चुकी हैं कि इसके पास से गुज़रने पर हमें बदबू के मारे मुंह ढकना पड़ता है. ये हम जैसे पढ़े-लिखे लोगों की ही देन है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी लोग नदियों को गंदा कर रहे हैं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पिछले कई सालों से नदियों की सफ़ाई को लेकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. इन्हीं में से एक नासिक के रहने वाले चंद्र किशोर पाटिल भी हैं.
नासिक के इंदिरानगर निवासी चंद्र किशोर पाटिल ने ‘गोदावरी नदी’ को साफ़ रखने का बीड़ा उठाया है. किशोर पिछले कई सालों से अपने इलाक़े की इस नदी को साफ़ सुथरा बनाए रखने के काम में जुटे हुए हैं. किशोर इस नदी को साफ़ रखने के लिए हर रोज सुबह 11 बजे से लेकर रात 9 बजे तक मुख्य सड़क के एक पुल पर खड़े हो जाते हैं, ताकि लोगों को नदी में कूड़ा-कचरा फेंकने से रोका जा सके.
IFS अधिकारी श्वेता बोद्दु ने अपने ट्विटर अकाउंट पर चंद्र किशोर पाटिल की एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, ‘मैंने हाथ में सीटी लिए इस युवक को पूरा दिन सड़क किनारे दशहरा के मौके पर प्लास्टिक की थैलियों में गंदगी भरकर नासिक की गोदावरी नदी में फ़ेंकने फेंकने वालों को रोकते हुए देखा. मिस्टर पाटिल को हमारा सलाम!
I saw this man stand on this road entire day with a whistle in hand to stop people from throwing Dussehra ‘holy waste’ in #Plastic bags into Godavari @Nashik
— Swetha Boddu, IFS (@swethaboddu) October 31, 2020
Dear Mr Patil, Respect! pic.twitter.com/Q3hj5ggP5v
बता दें कि चंद्र किशोर पाटिल न सिर्फ़ लोगों को नासिक की गोदावरी नदी में कचरा फ़ेंकने से रोकने का काम कर रहे हैं, बल्कि वो लोगों से कूड़े की थैलियां लेकर उन्हें सड़क किनारे एकत्र कर लेते हैं, जिसे बाद में नगर पालिका के लोग इकट्ठा कर डम्प यार्ड में ले जाते हैं. इस दौरान वो लोगों को जागरूक भी करते हैं.
जागरूकता के लिए लोगों को पिलाते हैं गंदा पानी
किशोर सुबह से ही नदी के किनारे सीटी लेकर खड़े हो जाते हैं. इस दौरान वो लोगों को नदी में कचरा फ़ेंकने से रोकते हैं. इस दौरान कई लोग ऐसे भी होते हैं जो उनके साथ ग़लत व्यवहार करते हैं. ऐसे लोगों से निपटने के लिए किशोर के पास नदी के गंदे पानी से भरी बोतलें होती हैं और वो लोगों से एक घूंट पीने को कहते हैं. जब लोग ऐसा करने से मना कर देते हैं, तो वो लोगों नदी में गंदगी न फ़ैलाने को लेकर जागरूक करते हैं.
Hindustan Times से बातचीत में किशोर कहते हैं कि, मैं गोदावरी नदी के क़रीब ही बसी एक सोसाइटी में रहते हैं. त्योहारों के सीज़न में लोगों द्वारा नदी में अत्यधिक मात्रा में कूड़ा फेंकने से पानी बेहद गंदा हो जाता है. कचरे की बदबू से वातावरण भी बेहद ख़राब हो जाता है. मैं पिछले 5 साल से लोगों को नदी में कचरा फ़ेंकने से रोकने का प्रयास कर रहा हूं. मैं इसे तब तक जारी रखूंगा जब तक मेरी तबियत मेरा साथ देती है’.