समय, भावनाओं, और भावनाओं के कारण को एक तस्वीर में कैद करना कोई आसान काम नहीं है. इसलिए कहते हैं कि फ़ोटोग्राफ़ी एक कला है. क्योंकि एक फ़ोटोग्राफ़र ही एक कहानी को अपनी कला से एक तस्वीर बना सकता है. ऐसे ही एक फ़ोटोग्राफ़र हैं, फ़ैयाज़ अहमद, जिनको फ़ोटोग्राफ़ी में महारथ तो हासिल है ही, अपितु वो अपनी इस कला के ज़रिये असली भारत को दुनिया के सामने लाने की कोशिश कर रहा है.
फ़ैयाज़ अहमद के इंस्टाग्राम अकाउंट faazers पर आपको ग्लैमरस और तड़कती-भड़कती फ़ोटोज़ नहीं दिखेंगी, जैसी फ़ोटोज़ देखने की ज़्यादातर लोग आदी हैं. उनकी फ़ोटोज़ शो-शा से दूर हैं, उसमें न ही कोई लड़की पॉउट कर रही है और न ही कोई पोज़ दे रही है. न ही उनकी फ़ोटोज़ में कपल्स हैं और न ही खूबसूरत नज़ारे.
बावजूद उनकी फ़ोटोज़ वास्तविक हैं. वो जूनागढ़ की सड़कों पर, जहां उनका घर भी है, चलते-फिरते लोगों की भाव-भंगिमाओं को अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं. उसके बाद उन्होंने देश के अलग-अलग शहरों में जाकर फ़ोटोज़ खींची. उनका मानना है कि हर दिन उनको अलग लोग दिखते हैं, जिनके चेहरे पर ज़िन्दगी का कोई न कोई अलग रंग होता है और उनके पास एक नई कहानी होती है.
उन्होंने बताया कि उनको वो लोग बड़े ही दिलचस्प लगे. आप उनके चेहरों पर संघर्ष और दर्द दोनों एक साथ देख सकते हैं. ये मानवता की बहुत असली तस्वीर है. सड़कों पर दर बदर घूमने वाले लोगों की फ़ोटोग्राफ़ी करते हुए मुझे ज़िन्दगी से प्यार हो गया. इस दौरान मैंने सीखा कि हर व्यक्ति जो सड़क पर चल रहा है उसका ज़िन्दगी से अपना एक संघर्ष है और जो उनकी ज़िन्दगी को एक मुकाम देने की कोशिश कर रहा है.
उसके बाद से ही फ़ैयाज़ ने उन लोगों को तस्वीरों में कैद करना शुरू कर दिया. तब मुझे एहसास हुआ कि इनको पोट्रेट करने के लिए उनके दर्द, ज़िन्दगी की जद्दोजहद का अनुभव करना पड़ेगा, तभी मैं इनको सही से समझ पाऊंगा.
हालांकि, भारत की वास्तविकता दिखाने वाली उनकी इन बेहतरीन फ़ोटोज़ को सोशल मीडिया पर शेयर करने के बाद उनको कई तरह की आलोचनाओं को भी झेलना पड़ा. किसी ने कहा कि फ़ैयाज़ की ये फ़ोटोज़ दुनिया के सामने इंडिया की छवि खराब कर रहीं हैं.
इस पर फ़ैयाज़ का जवाब यही होता है कि आप असली भारत को इंटरनेट पर सर्च नहीं कर सकते. आप भारत को वहां की गलियों में देख पाएंगे और मैं वही करने की कोशिश कर रहा हूं. लोगो ग्लैमराइज़्ड इमेजेज़ को पसंद करते हैं. लेकिन सच में आप सच्चाई से दूर भाग रहे हैं.
फ़ैयाज़ ने अपनी इन फ़ोटोज़ से फ़ोटोग्राफ़ी की ताकत को दुनिया के सामने साबित किया है, जिसका इस्तेमाल फ़ैयाज़ उस भारत की तस्वीर आपके सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं, गलियों, सड़कों पर बसता है.
तो चलिए अब फ़ैयाज़ की कुछ बोलती हुई तस्वीरों पर नज़र डालते हैं:
8. धार्मिक एकता बसती है देश में
9. गुस्सा और डर एक साथ
10. खिलखिलाता बचपन
11. ख़ूबसूरती देखने वालों की आंखों में होती है
12. संघर्ष की देन झुर्रियां
13. जहां सच होता है, वहां झूठ अपने आप आ जाता है
14. मासूम बचपन
15. अकेलेपन की दास्तां
16. मां को समझना आसान नहीं
17. अच्छे दिनों के इंतज़ार में
18. बचपन वाली दोस्ती
19. बोलती आंखें
20. बेसहारा बुढ़ापा
21. गुजरात की छाप
22. ज़िन्दगी का बोझ
23. अपनी छोटी सी दुनिया
24. बचपन पर मंडराता डर का साया
25. पूरी दुनिया हाथों में समेटने को तैयार
26. अभी तो आसमान छूना है
27. ये होती है ज़िंदादिल ज़िन्दगी
28. दिल छू लेने वाली हंसी
29. ममता की छांव
30. मुझे आसमान छूना है
आखिर में हम यही कहेंगे कि फ़ैयाज़ की ये फ़ोटोज़ मॉडर्निटी का जामा पहने भारत और असल भारत के बीच की गहरी खाई को पाटने का काम कर रही हैं.