नदियां हमारी लाइफ़ लाइन मतलब जीवन रेखा होती हैं. हमारे देश में भी पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक नदियों का जाल बिछा हुआ है. मगर हमने इन नदियों का जमकर शोषण किया है. कभी गंदे नालों को इसमें गिराकर तो कभी फ़ैक्टरियों से निकलने वाले दूषित पानी को इसमें मिलाकर. पर्सनल लेवल पर भी हमने इन्हें प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. तभी तो हमारे आस-पास की नंदियां किसी गंदे नाले की तरह बदबू मारती हैं या फिर उनमें ज़हरीला झाग बनता है. इनका पानी को इतना दूषित हो गया था कि हम इसे पीना तो दूर हाथ में लेना भी पसंद न करें.

पर जब से लॉकडाउन हुआ है तब से इन नदियों को जैसे एक वरदान सा मिल गया है. देश की अधिकतर नदियां अब पहले से कहीं अधिक साफ़ और शुद्ध जल से लबरेज़ हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है फ़ैक्टरियों का बंद होना और टूरिस्ट्स का इनसे दूर रहना. इस लॉकडान ने देश की तमाम नदियों को नया जीवन दान दिया है. य़कीन नहीं होता तो एक नज़र देशभर से आई इन तस्वीरों पर डाल लीजिएगा.

दिल्ली की यमुना नदी में उठने वाले वो ज़हरीले झाग अब कहीं गायब हो गए हैं. इसका पानी भी पहले से कहीं अधिक साफ़ हो गया है. 

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दशकों बाद गंगा नदी का पानी इतना शुद्ध हो गया है कि उसे डायरेक्ट(बिना फ़िल्टर किए) पी सकते हैं. 

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नासिक के पास से बहने वाली गोदावरी नदी में बहते साफ़ पानी को देखना अब मन को सुकून देता है. 

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बेंगलुरू की वृषभावती नदी को भी नया जीवन दान मिल गया है. 

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कई स्थानों पर कावेरी नदी के पानी के साफ़ होने की ख़बरें आई हैं.

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कुदरत ख़ुद को फिर से दुरुस्त करने में लगी है, अब ज़रूरत है इसे बरकार रखने की. इसकी ज़िम्मेदारी हम इंसानों पर ही है.

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