ट्रेन की उन ज़ंग लगी पटरियों को देख कर हमेशा एक ख़्याल आता है… ये कब बनी होंगी, जब ये बनी होंगी तो कितने लोगों ने इस पर काम किया होगा. देश के कोने-कोनों को जोड़ने वाली रेल की पटरियां जब पहली बार पड़ी होंगी, तो ये कितना बड़ा बदलाव रहा होगा.
कुछ पुरानी तस्वीरें मिली हैं, जिनमें उस समय की कुछ तस्वीरें हैं. मुझे इन तस्वीरों को देखने के बाद लगा कि मैं उस समय में चली गयी हूं. चलिए आपको भी इतिहास का सफ़र करवाती हूं.
ये तस्वीर 1890 के दौरान हुए रेल निर्माण की है.

उस समय के कपड़े, कितने अलग थे.

Engine

एक अलग सी फ़ीलिंग हो रही है.

ये सूट Astronaut के लग रहे हैं.
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तैयारी

यहां अभी रेल लाइन बिछेगी.

काम तेज़ी में.

ज़्यादा काम इंसान कर रहे हैं.
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परीक्षा

मेहनत

पुल तैयार

टीम
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यहीं से कुछ दिनों में छुक-छुक की आवाज़ आएंगी.

पानी के बीच में कुछ ऐसे बनते हैं पुल.

कोशिशें चल रही हैं.

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शुरुआत हो चुकी है.


आज पहला दिन है, झंडा दिखा?

ट्रैक तैयार
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हरी झंडी देती हुई कोई ब्रिटिश ऑफिसर की मैडम.

तस्वीरों में जादू होता है और टाइम मशीन भी. अपने आज में बैठे हुए हम सालों पीछे की दुनिया देख रहे होते हैं. है न?




