वर्ष 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के साथ ही उसके बंटवारे की बुरी ख़बर भी आई थी. बुरी इसलिए क्योंकि भारत-पाकिस्तान का बंटवारा बहुत ही विभत्स था. इसका दर्द दोनों तरफ के सैंकड़ों लोगों ने झेला था. इस बंटवारे में न जाने कितने परिवार बिछड़ गए थे. न जाने कितने ही लोगों की जान गई थी. जिन लोगों ने बंटवारे का दंश झेला होगा, उसकी दिल पर क्या गुज़री होगी हम और आप उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
ख़ैर, बंटवारे के उस दर्दनाक मंज़र की कुछ तस्वीरें लाये हैं, जिनमें क़ैद है उस दौर की कहानी:
अमेरिका के अख़बार में छपी बंटवारे की ख़बर.
लाल किले पर झंडा फहराने के दौरान इकट्ठे हुए लोग.
शरणार्थी शिविरों में कतार में खड़े लोग.
पाकिस्तान से लोगों को भारत लाती एक ट्रेन.
अपना घर बार छोड़कर जाते लोग.
ट्रेनों में बेतहाशा भीड़.
सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
भूख से बिलखते बच्चे.
लोग पैदल ही देश छोड़ने को मजबूर हो गए थे.
बंटवारे का हाल देखकर चिंतित एक बच्चा.
साधन की कमी के कारण बैलगाड़ियों पर जाते लोग.
अपने बच्चों को भैंस पर बिठाकर लेकर जाता एक शख़्स.
लाहौर स्टेशन.
शायद इस शख़्स की मौत भूख से हो गई थी.
औरतों, बच्चों और बुज़ुर्गों को काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
वीरान पड़े कुछ घर.
भूख से बिलखता एक परिवार.
स्टेशन के किनारे पड़ी कुछ लाशें.
घरों में मातम जैसा माहौल था.
एक और शरणार्थी शिविर.
दहशत में बैठा एक परिवार.
दंगों में मारे गए लोगों का दाह-संस्कार करते कुछ लोग.
बंटवारे से परेशान एक परिवार.
सच में बंटवारा बहुत ही दर्दनाक था.
भारत और पाकिस्तान के दोनों के लिए बंटवारे की यादें भले ही आज धुंधली हो चुकी हैं, लेकिन उस दौर को झेलने वाले आज भी इस दर्द को झेल रहे हैं.