क्या ट्रैफ़िक नियमों का पालन किया जाना चाहिए? आप सोच रहे होंगे कि हम ये कैसा सवाल पूछ रहे हैं! यकीनन ऐसा होना चाहिए. तो जब आप ये मानते हैं, इसे अपनाते क्यों नहीं? हम ये सवाल इस लिए पूछ रहे हैं क्योंकि हम कहते कुछ और हैं और करते कुछ और.
ऐसा लगता है हमने ‘नियम पे चलना छोड़ दो’ इस जुमले को दिल पे ले लिया है. तभी तो हम दिलो-जान से इसे सार्थक करने में लगे हुए हैं. इंडियन्स ट्रैफ़िक रूल्स तोड़ने सबसे आगे होते हैं. नीचे दी गई तस्वीरों को देख कर आप भी सहमत होंगे.
चौराहे पर ट्रैफ़िक कॉन्स्टेबल न हो, तो सब अपनी मर्ज़ी चलाते हैं.

ज़ेबरा क्रॉसिंग पर भी गाड़ी रोकते हैं.

यू-टर्न वर्जित होने के साइन को कभी देखते ही नहीं.

दो पहिये को मालगाड़ी बनाने पर उतारू रहते हैं.

लोग कहीं से भी रोड क्रॉस करने लगते हैं.
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हाई बीम लाइट पर गाड़ी चलाते हैं.

नो पार्किंग में पार्किंग करना शान समझते हैं.

बेमतब हॉर्न बजाएंगे.

पुलिस वाले भी रूल तोड़ते हैं.

रेड लाइट जंप करने से भी पीछे नहीं हटते.
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कोई भी एंबुलेंस को साइड देने में दिलचस्पी नहीं रखता.

रेलवे फाटक को भी कुछ नहीं समझते.

नो एंट्री में घुसे चले आते हैं.

फुटपाथ पर भी गाड़ी चलाने से नहीं बाज़ आते.

गाड़ी चलाते हुए फ़ोन पर बात करते हैं.
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ओवरलोडिंग करना तो जैसे इनका जन्म सिद्ध अधिकार है.

शराब पीकर गाड़ी चलाना.

रोड पर ही गाड़ी पार्क कर देना.

पानी भरा हो तब दूसरे पर कीचड़ उछालते हुए निकल जाते हैं.

इंडिया में रेड लाइट का मतलब.
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पुलिस वाले के रोकने पर भी नहीं रुकते.

कार पार्किंग में बाइक खड़ी करना.

महिलाएं भी कम नहीं.

इन्हें शायद रोड बंद होने का साइन नहीं दिखा.

बिना साइड इंडिकेटर के ही जब जी में आया गाड़ी मोड़ लेते हैं.
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क्यों करते हो भाई ऐसा! क्यों! ट्रैफ़िक रूल्स फॉलो कर लोगे तो जान बच जाएगी और कुछ नहीं!
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