वर्तमान में पूरी दुनिया के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग एक सबसे बड़ी समस्या है और हर देश अपने स्तर पर इस समस्या से निजात पाने के लिए कोशिश कर रहा है. दुनिया भर के वैज्ञानिक और रिसर्चर्स हर दिन नए शोध कर रहे हैं कि प्लास्टिक वेस्ट के कचरे के ढेर को कैसे कम किया जाए. वहीं पूरी दुनिया में हर दिन लाखों पौधों को लगाया जा रहा है. ताकि हमारे पर्यावरण में ऑक्सीज़न की मात्रा बढ़े और सबको शुद्ध हवा मिले.
मगर हाल में हुई एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हमारे वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा इतनी ज़्यादा हो चुकी है कि उसको कम करने के लिए जितने पेड़ लगाने होंगे उतनी तो हमारी धरती पर जगह ही नहीं है, ताकि इंसान को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाया जा सके.
कुछ वक़्त पहले एक रिसर्च में पाया गया था कि छोटे या कम उम्र के पेड़ उष्णकटिबंधीय वर्षावनों (Tropical Rainforests) की तुलना में कार्बन डाइऑक्साइड को बेहतर ढंग से अवशोषित कर सकते हैं, जो एक अच्छी ख़बर थी. हालांकि, नए शोध में पाया गया है कि कार्बन के उत्सर्जन को कम करने या कार्बन को अवशोषित करने के लिए आवश्यक पेड़ों को लगाने के लिए जगह धरती पर नहीं है.
Business Insider के अनुसार, इस शोध में ये गणना की गई है कि अगर हम 1.7 बिलियन एकड़ में पेड़ लगाते हैं, तो एक साल में हम अपने वायुमंडल से 3 बिलियन टन कार्बन निकाल सकते हैं. हैरानी की बात ये है कि जो हर साल मनुष्य जितनी कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन करता है, ये गणना उसका मात्र 10 प्रतिशत ही है और ये बढ़कर 40 बिलियन टन तक हो सकता है.
गौर करने वाली बात ये है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने पेड़ों को एक संभावित समाधान के रूप में देखा है क्योंकि वो प्रकाश संश्लेषण के दौरान वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, इसके उपयोग से पेड़ कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं, जो पौधे की संरचना और कार्य में उपयोग किए जाते हैं. पेड़ भी एक उपोत्पाद के रूप में ऑक्सीजन को वापस वायुमंडल में छोड़ते हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि 1.7 बिलियन एकड़ के पेड़ पूरे अमेरिका के क्षेत्रफल के बराबर होंगे. और इतने सारे पौधरोपण करने लिए पूरी दुनिया की उपजाऊ भूमि का आधा हिस्सा कवर हो जाएगा. और सबसे बड़ी बात ये है कि अंततः हमें फसलों की खेती के लिए ज़मीन तो चाहिए ही होगी, क्योंकि दुनिया की आबादी भी तो निरंतर बढ़ती ही जा रही है.
अंत में इस शोध का ये निष्कर्ष निकला है कि अगर इतनी आधी मात्रा में धरती पर पेड़ लगाए जायेंगे तो वास्तव में मानव प्रजाति भुखमरी का शिकार हो सकती है. इससे एक बात तो साफ़ है कि पेड़ लगाना स्पष्ट रूप से ग्लोबल वार्मिंग का एकमात्र समाधान नहीं है, लेकिन हां ये हमारी मदद ज़रूर कर सकता है.
University of Birmingham के शोधकर्ताओं ने हाल ही में पाया कि 140 साल से कम पुराने पेड़ हमारे वायुमंडलीय हवा से कार्बन डाइऑक्साइड की आधे से अधिक मात्रा को शुद्ध करने का काम करते हैं. Birmingham Institute of Forest Research (BIFoR) के अध्ययन लेखक, Dr. Tom Pugh ने कहा कि एक नयाजंगल, पुराने जंगल की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक कार्बन को अवशोषित कर सकता है.
इस शोध में ये भी बताया गया है कि आने वाले वक़्त में बढ़ते जंगलों और वनों से कार्बन डाइऑक्साइड को कितना अवशोषित किया जा सकता है. Dr. Pugh ने बताया कि वनों की वनीकरण योजनाओं के बाद कितना कार्बन एक जंगल अवशोषित करेगा इसकी गणना करते समय पेड़ों की उम्र को ध्यान में रखना बहुत महत्वपूर्ण था.
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,
‘सबसे पहले इसके लिए ये जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि ये कार्बन उत्थान कहां और क्यों हो रहा है? क्योंकि इससे हमें वन प्रबंधन के बारे में लक्षित और सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है. जंगलों द्वारा ग्रहण की जाने वाली CO2 (कार्बन डाई ऑक्साइड) की मात्रा एक परिमित राशि है: अंततः वनीकरण कार्यक्रम तभी प्रभावी होंगे जब हम एक साथ अपने उत्सर्जन को कम करने के लिए काम करेंगे.’
अब ये तो बात हो गई रिसर्च की, लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग एक विकट समस्या बनती जा रही है और हम सबको अपने स्तर पर इसको कम करने के लिए प्लास्टिक को बायकॉट करना होगा और अपने आस-पास जितने हो सकें उतने पौधे लगाने होंगे. एक बात ध्यान रखिये कि हमारा एक छोटा सा कदम दुनिया पर आई इस समस्या को कम करने में मदद करेगा.