8 साल का Abushe, Ethiopia के Jinka में रहता है. वैसे तो ये एक आम बच्चा ही है, लेकिन अगर आप उसकी आंखों को गौर से देखेंगे, तो शायद सम्मोहित हो जायें. Abushe की आंखों का रंग Waardenburg Syndrome नाम की बीमारी के कारण असाधारण है. ये जादुई नीला रंग किसी को भी आकर्षित कर सकता है.
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इस बीमारी की वजह से Abushe की आंखों के बीच दूरी भी असाधारण रूप से ज़्यादा है. 300,000 बच्चों में से किसी एक को ही ये बीमारी होती है. ये बच्चा एक झोपड़ी में रहता था, एक बार जब उसकी झोपड़ी में आग लगी, तो उसके माथे पर जले का निशान पड़ गया.
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Abushe अपनी दादी के साथ रहता था. इस आग में वो दोनों सुरक्षित तो बच गए, लेकिन उनके सामान के साथ किताबें और गद्दे तक जल गए.
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जब वो पैदा हुआ था, तब लोगों को लगा था कि शायद वो देख नहीं पायेगा, उसके मां-बाप को भी यही लगा था. Abushe का परिवार इंतना ग़रीब है कि वो उसका चेक-अप नहीं करा सकते थे. बहुत समय बाद उन्हें पता चला कि वो देख सकता है.
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बाकी बच्चे उसका मज़ाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि उसकी आंखें प्लास्टिक की हैं. कुछ तो उसे पीटते भी हैं और उसे राक्षस बुलाते हैं.
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वो आठ साल की उम्र में घर से बाहर रहता है, क्योंकि उसका घर स्कूल से बहुत दूर है. Abushe रोज़ बस से आने-जाने का खर्चा नहीं उठा सकता. वो ज़मीन पर एक गत्ता बिछा कर ही जैसे-तैसे सोता है. पास के रेस्टोरेंट वाले उसे जो बचा-कुचा खाना दे देते हैं, उसी से वो गुज़ारा करता है.
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वाकयी, कुछ लोगों को सोने के लिए बिस्तर भी नसीब नहीं होता और जिनके पास सबकुछ होता है उन्हें इसका अहसास नहीं होता कि वो कितने ख़ुशनसीब हैं. जिसे लोग दैत्य कह कर चिढ़ाते हैं, उस मासूम बच्चे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.