जल्द ही हमें प्रधानमंत्री मोदी की ज़िंदगी पर आधारित फ़िल्म बड़े पर्दे पर देखने को मिलेगी, जिसमें पीएम की भूमिका अभिनेता विवेक ओबरॉय निभाएंगे. फ़िलहाल, प्रधानमंत्री के जीवन पर बनने वाली इस फ़िल्म के लिये थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा, पर उससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने Humans Of Bombay को दिये इंटरव्यू में उनकी ज़िंदगी के कई अनसुने किस्सों का ज़िक्र किया है.

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आज बच्चे-बच्चे को ये पता है कि मोदी कभी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचकर ज़िंदगी का गुज़ारा करते थे, लेकिन उस वक़्त किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि ये ग़रीब बच्चा एक दिन देश का प्रधानमंत्री बन जाएगा. संघर्षों के दिनों को याद करते हुए पीएम मोदी बताते हैं कि 40×12 फ़ीट के घर में वो कुल 8 लोग रहते थे, उनके दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती थी. घर के हालात ख़राब थे, इसलिये उनकी मां भी आस-पास के बच्चों का इलाज कर घर ख़र्च में मदद करती थी. हांलाकि, उनकी मां के पास कोई आधिकारिक डिग्री नहीं थी, लेकिन लोगों का मानना था कि उनके स्पर्श मात्र से बच्चों का रोग दूर हो जाता था.

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पीएम बताते हैं कि शुरुआती दिनों में उन्हें पढ़ाई और काम दोनों में तालमेल बिठाने में काफ़ी दिक्कत हुई. पहले वो अपने पिताजी के साथ रेलवे स्टेशन जाते, फिर दुकान की सफ़ाई करके चाय स्टॉल लगाते. इसके बाद फिर तुरंत स्कूल भाग जाते. यही नहीं, स्कूल ख़त्म होने के बाद वो वापस पिताजी की मदद करने के लिये रेलवे स्टेशन पहुंचचे. इस दौरान उन्हें अलग-अलग तरह के लोगों से मिलने मौका मिला, साथ ही उनकी कहानियां जानने का भी.

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मोदीजी ने 8 साल की उम्र में पहली दफ़ा आरएसएस बैठक में शामिल हो कर राजनीति की दुनिया में कदम रखा. ‘9वें वर्ष में लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाने का प्रयत्न करने लगा था. बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिये मैंने गुजरात में दोस्तों के ज़रिये फ़ूड स्टॉल स्थापित किया ताकि पीड़ितों को खाने के लिये परेशान न होना पड़े.’ हांलाकि, वो करना बहुत कुछ चाहते थे पर घर की आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह से ज़्यादा कुछ न कर सके.

पीएम मोदी बचपन से ही अप-टू-डेट रहने में य़कीन रखते हैं. यही वजह है कि घर में प्रेस न होने के बावजूद वो कोयला गर्म कर, पुराने लोटे से अपनी शर्ट प्रेस किया करते थे. वहीं प्रधानमंत्री मोदी से जब ये पूछा गया कि 8 वर्ष की उम्र में उन्होंने कभी पीएम बनने का सोचा था, तो उनका जवाब था, कभी नहीं.