देश का दिल यानि कि दिल्ली. दिलवालों की दिल्ली में देश के कोने-कोने से लोग काम की तलाश में आते हैं. देश की राजधानी होने के नाते, दिल्ली विकास के मामले में भी कई शहरों से बहुत आगे है. पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में मानवता वाली बात कहीं खो सी गई है.
शहर की चकाचौंध में कहीं न कहीं बहुत से लोग ये भूल गए हैं कि वे इंसान हैं. दिल्ली मेट्रो की ही बात करें, तो रोज़ाना ऐसी कई घटनाएं घटती हैं, जो हमारे मानव होने पर ही सवाल उठाती हैं. गर्भवती महिला को सीट न देने से लेकर, चोटील पुरुष को सीट न देने की घटनाएं तो आम हैं. हद तो तब हो जाती है, जब लोग आरक्षित कोच को लेकर भी सवाल खड़े करते हैं.
शिवन्या पांडे, 1 मई को गुरगांव रैपिड मेट्रो से ट्रैवेल कर रही थी. सब कुछ सामान्य था. तभी उनकी नज़र 4-6 बच्चों पर पड़ी जो मैले-कुचैले कपड़ों में थे. इन बच्चों के पास मेट्रो में बैठने के पैसे थे, पर इनके कपड़ों के कारण इन्हें मेट्रो में बैठने नहीं दिया गया.
शिवन्या ने इस घटनाके बारे में अपनी फ़ेसबुक वॉल पर लिखा:
‘4-6 गरीब बच्चों को रैपिड मेट्रो में प्रवेश नहीं करने दिया गया. उनकी गलती सिर्फ़ इतनी थी कि उनके कपड़े मैले थे और वे पसीने से तर-बतर थे. उनके पास पैसे थे, पर गार्ड ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया.किसी भी इंसान को Judge करने की हमारी आदत, हमें कितना नीचे गिरा देती है, ये मैंने आज देखा. मुझे उन बच्चों के लिए बहुत बुरा लग रहा है. काश मैं उनके लिए कुछ कर सकती. उनकी उम्र सिर्फ़ 3-8 साल थी. हमारा देश तेज़ी से विकास कर रहा है, पर देशवासी ही पिछड़ रहे हैं. ग़ज़ब का बदलाव है ये, जहां देश उन्नति और देश के बाशिंदे अवनति कर रहे हैं. महान है मेरा देश. इस देश में ट्रांसजेंडर, LGBT, गरीब, पिछड़ों के लिए कोई जगह नहीं है. मेरे देश में लोगों के लिए ही जगह नहीं है.’
पीड़ित बच्चों को वैसे कपड़ों में ऑटो से ही यातायात करने की हिदायत दी गई. शिवन्या ने ट्विट कर इस घटना की जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री, मेनका गांधी को दी.
जब शिवन्या ने इस घटना की जानकारी दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों को दी, तो अधिकारियों ने घटना के सुबुत मांगे. ज़ाहिर सी बात है कि शिवन्या के पास कोई सुबूत नहीं है, ऐसे मौकों पर लोग फ़ोटो या वीडियो नहीं ले पाते. हालांकि शिवन्या ने CCTV Footage को सुबूत के तौर पर देखने को कहा है.
रैपिड मेट्रो के प्रवक्ता ने जो बयान दिया है, वो घटना से बिल्कुल उलटा है. प्रवक्ता ने बताया कि बच्चों के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्हें जाने को कहा गया.
हक़ीक़त तो CCTV Footage देखकर ही पता चलेगी. तब तक हम आप लोगों से ज़रा इंसानियत को ज़िन्दा रखने की अपील ही कर सकते हैं.
Source: Rajnikant vs cid jokes