क्रिएटिविटी किसी खास जगह से निकल कर नहीं आती, बल्कि जहां जुगाड़ मिल जाए, वहां दिख जाती है. पटना में बेली रोड की ओर जाते ही रंग-बिरंगी सी एक छोटी बिल्डिंग आपका ध्यान खींचती नज़र आती है.ये अनोखी बिल्डिंग है एनर्जी कैफ़े की, जिसका नाम है पावर कैफ़े .
इसके अतरंगी रंगों पर मत जाइए, इसके अलावा और कई खूबियां हैं इस बिल्डिंग में. ये इसलिए अनोखी है क्योंकि यहां का सारा सामान और फर्नीचर बिजली विभाग के ख़राब हो चुके सामानों से बना है. ये बिल्डिंग अपने आप में ऊर्जा की रीसाइक्लिंग का सन्देश देती नज़र आती है.
बिहार स्टेट पॉवर होल्डिंग के चीफ इंजीनियर सरोज कुमार सिन्हा इस बिल्डिंग के बारे में बताते हैं कि इस कैफ़े का आइडिया ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत का था. इस सपने को साकार करने में प्रोफेशनल आर्टिस्ट मंजीत और नेहा सिंह ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई.
कैफ़े की हर चीज़ बहुत ही खूबसूरत ढंग से तैयार की गई है. इसका साइन बोर्ड भी पुराने ढंग से बनाया गया है, जिसको बनाने में पुरानी साइकिल के एक हिस्से का यूज़ किया गया है.
बैठने के लिए कुर्सी और टेबल पुराने बेकार पड़े ड्रमों से बनाये गये हैं. ख़राब पड़े इलेक्ट्रिक पैनल्स से बेंच बनाया गया हैं, जिसमें अभी भी नट और बोल्ट को देखा जा सकता है.
डस्टबीन को बनाने में इंसुलेटर तो मॉडर्न आर्ट प्रदर्शित करने के लिए बिजली के तारों का यूज़ किया गया है. Menu बोर्ड और घड़ी विभाग में फेंकी गई लकड़ियों से तैयार की गई हैं. इतना ही नहीं कैफ़े में सोफ़ा एक पुरानी एम्बेसडर कार को काट कर बनाया गया है.
कैफ़े के कोने को एक अन्य पॉवरपॉइंट के कैंटीन में रखी हुई केतलियों से सजाया गया है. यहां आकर आपको उन सारी चीज़ों की उपयोगिता याद आ जायेंगी, जिसे कभी आपने बेकार समझ कर फेंक दिया था.
ये कैफ़े अपने आप में रीसाइक्लिंग का ब्रांड एम्बेसडर बन गया है. रीसाइक्लिंग का इससे बेजोड़ नमूना शायद ही कहीं और देखने को मिले.