भारत में शादियों का मतलब दो परिवारों का मिलन पहले, दो मनुष्यों का मिलन बाद में होता है. आसान शब्दों में समझा जाए, तो जाति, आर्थिक स्थिति आदि पहले आते हैं और प्रेम बाद में आता है.
वैसे वक़्त के साथ-साथ ये सोच भी बदल रही है. और इस सोच को बदलने में सीढ़ियों का काम कर रही हैं कुछ अनोखी शादियां. जैसे- दुल्हन का घोड़ी चढ़ना या फिर दुल्हन का बारात लेकर जाना और 1 लाख से कम शादी करना. एक अनोखी शादी 26 जनवरी 2019 को भी हुई. पुणे के एक जोड़े ने जाति को साइड कर शादी करने का फ़ैसला किया. जाति के बिना शादी करने के इस तरीके को ‘सत्यशोधक’ कहते हैं और इसकी शुरुआत महात्मा ज्योतिराव फुले ने की थी. ‘सत्यशोधक’ शादी बिना पंडित और रीति-रिवाजों के होती है.

इस जोड़े ने शादी के रीति-रिवाजों को बदला और उस जगह अपने सिद्धांतों और सोच को रखा.
Pune Mirror के अनुसार, 2 साल पहले सामाजिक कार्य के दौरान सचिन और शरवरी मिले. सचिन ने बताया,

The Logical Indian से बात करते हुए सचिन ने बताया,

इस अनोखी शादी में हिन्दू विवाह संस्कार के लगभग सारे महत्वपूर्ण रीति-रिवाज जैसे कि ‘कन्यादान’ नहीं थे. सुभाष और शरवरी की कुंडली भी मॉर्डन थी और उसमें शिक्षा, आय आदि चीज़ें लिखी थी.