जब पढ़ेगा इंडिया, तभी बढ़ेगा इंडिया.

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पर क्या सच में इंडिया पढ़ रहा है और आगे बढ़ रहा है? क्योंकि पैसों के अभाव में आज भी कई बच्चे शिक्षा से कोसों से दूर हैं. ऐसे ही बच्चों को शिक्षित करने की ज़िम्मेदारी राजस्थान का एक पुलिसवाला निभा रहा है. 

नाम है धर्मवीर जखर 

धर्मवीर जखर चूरू के रहने वाले हैं और उन्होंने ग़रीब बच्चों को शिक्षित करने की एक नेक पहल की है. रिपोर्ट के मुताबिक, धर्मवीर ने बेसहारा-ग़रीब बच्चों के लिये एक स्कूल खोला है. इस स्कूल को खोलने का मकसद सिर्फ़ इतना है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित रहकर भीख मांगने को मजबूर न हो. धर्मवीर के इस स्कूल का नाम ‘अपनी पाठशाला’ है, जिसकी शुरूआत 2016 में की गई थी. आज यहां करीब 450 बच्चे पढ़ते हैं.

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कैसे आया स्कूल खोलने का आईडिया? 

दरअसल, धर्मवीर थाने के बाहर कई बच्चों को भीख मांगते देखते थे. छोटे बच्चों के हाथों में किताबों की बजाये कटोरा देख धर्मवीर के मन में उनसे बात करने की इच्छा जागी. इसके बाद बच्चों से बात करने पर धर्मवीर को पता चला कि वो अनाथ हैं. ये जान कर धर्मवीर से रहा नहीं गया है और बच्चों के साथ उस जगह पहुंचे, जहां ग़रीब बच्चे अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे. झुग्गियों में रह रहे इन बच्चों की जीवनशैली का धर्मवीर पर काफ़ी गहरा असर हुआ, जिसके बाद उन्होंने स्कूल खोल बच्चों को पढ़ाने की ठानी. 

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अपनी पाठशाला में पढ़ रहे इन बच्चों को वैन की सुविधा भी दी गई है, जिसमें पिक एंड ड्रॉप दोनों की सुविधा है. इसके साथ ही उन्हें कपड़ोंकी भी फ़्री सुविधा दी जाती है. इसके अलावा उन्हें पढ़ाई-लिखाई की सारी चीज़ें भी मुफ़्त दी जाती हैं.

इस बारे में धर्मवीर का कहना है कि कई यूपी और बिहार के परिवार भी यहां काम से लेकर खाने तक करने के लिये आते हैं. इन्हीं बच्चों को हम पढ़ने के लिये प्रेरित करते हैं, ताकि वो पढ़-लिख कर जीवन में कुछ कर सकें.

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हैरानी वाली बात ये है कि धर्मवीर बच्चों शिक्षित करने की सारी ज़िम्मेदारी ख़ुद ही उठा रहे हैं. अब तक उन्हें राज्य या शिक्षा विभाग की तरफ़ से कोई मदद नहीं दी गई है. अगर राज्य या शिक्षा विभाग भी धर्मवीर का सहयोग करे, तो बच्चों को और भी कई सुविधायें दी जा सकती हैं.

धर्मवीर की इस नेक और क़ाबिले-ए-तारीफ़ पहल के लिये उनकी जितनी सराहाना की जाये कम है. 

हमारी तरफ़ से इस पुलिवाले को सैल्यूट.

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