राजस्थान… नाम सुनते ही मन में एक अनोखी सी छवि बन जाती है. रेत के समंदर में, बड़े-बड़े किले, काले घाघरे और कढ़ाई वाली ओढ़नी पहने, ‘पधारो म्हारे देस’ गीत को गाते और नाचती बंजारे. हम राजस्थान न भी गए हो, फिर भी ये दृश्य तो हम सबके दिलो-दिमाग पर सजा हुआ है.

India Today

राजपूतों की भूमि, राजस्थान अपने ख़ूबसूरत इतिहास के लिए जाना जाता है. लेकिन जैसे कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. राजस्थान से हमें भंवरी देवी की भी याद आ जाती है. बाल विवाह जैसे अपराध को रोकने गईं थीं वो. इस अपराध की सज़ा उन्हें भुगतनी पड़ी. दरिंदों ने उनकी इज़्ज़त को तार-तार कर दिया, यही नहीं, गांववालों ने भी उनका बहिष्कार कर दिया.

BBC

राजस्थान के बिकानेर, जैसलमेर, जोधपुर और बाड़मेर जैसे ज़िलों में बाल विवाह की प्रथा सालों से चली आ रही है. लोगों के हाथों में मोबाईल तो आ गए, पर इस कुप्रथा के चलन में कमी नहीं आई.

अपनी सदियों पुरानी कुप्रथा के खिलाफ़ एक छोटे से गांव ने जो प्रण लिया है, वो काली रात में रौशनी की किरण के जैसी ही है. बिकानेर ज़िले के जैसलसार गांव के लोगों ने ये प्रण लिया है कि वे किसी भी कम उम्र की बच्ची का जबरन विवाह नहीं करवाएंगे. इस प्रथा के कारण 6 साल की छोटी बच्चियों का भी विवाह कर दिया गया था. इस उम्र में तो शादी का मतलब समझना तो दूर, बच्चे शादी शब्द से ही अनजान रहते हैं.

Gulf News

ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए इस गांव के लोगों ने अपनी नई सोच का सुबूत दिया है. गांववालों का कहना है कि इस गांव में आखरी बाल-विवाह 2014 में करवाया गया था.

Village Square

लड़कियों की जागरूकता के लिए कार्यरत संतोष कंवर ने Village Square को बताया,

‘जिन बच्चियों की छोटी उम्र में ही शादी हो जाती है, उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता. बाल-विवाह किसी भी बच्चे की ज़िन्दगी बर्बाद कर देता है. शादी होने के बाद, बाल-वधुएं की पढ़ाई से लेकर शारीरिक विकास तक, सब पर असर पड़ता है. लड़कों से ज़्यादा लड़कियों पर बाल-विवाह का असर पड़ता है. गरीब घर की लड़कियां इस कुप्रथा से अधिक प्रभावित होती हैं. मां-बाप सोचते हैं बचपन में शादी कर देने से उन्हें बाद में परेशानी नहीं होगी. ऐसी लड़कियां बहुत ही कम उम्र में मां बन जाती हैं.’

इसी गांव की बेटी, बबीता ने कम उम्र में शादी करने से इंकार कर दिया था. बबीता 12वीं की छात्रा है. उसने बताया,

‘मैंने अपने सामने कई 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की शादी होते हुए देखी है.’
Village Square

बाल-विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए और औरतों की ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए गांव प्रशासन भी तत्पर है. इसके लिए ग्राम पंचायत स्लोगन, बिल-बोर्ड यहां तक कि गाने-बजाने वालों तक का सहारा ले रहे हैं. गांववालों के बीच जागरूकता लाने के लिए गांव में ‘एकता’ और ‘जागृति’ जैसे लड़कियों के समूह का गठन किया गया. ये समूह बाल-विवाह की रोकथाम के साथ-साथ, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा आदि समस्याओं के लिए भी काम करता है.

b’Source: Village Square’

अगर ऐसे ही हर गांव और हर परिवार इस कुप्रथा से होने वाली क्षति के बारे में समझ जाएं, तो किसी भी लड़की को अपना बचपन गंवाना नहीं पड़ेगा.

Source: Village Square

Feature Image Source: One India (feature image is only for representation purpose)