शादी-ब्याह का मौका हो या कॉलेज की DJ नाइट, बब्बू मान के गानों के बगैर तो जैसे सब अधूरा-सा है. जब तक दारू के नशे में दोस्तों के साथ ‘मितरां दी छतरी’ और ‘शोण दी जड़ी’ पर डांस न हो, कोई भी पार्टी अधूरी है. शादी और पार्टी के मौसम की तरह ही एक मौसम होता है चुनावों का, जिसमें वादों का टेंट लगता है और जुमलों की सगाई होती है.

शादी के हर टेंट की तरह इस टेंट में भी कुछ ऐसे रिश्तेदार मिलते हैं, जिनके बारे में सुना सबने होता है, पर देखा किसी ने नहीं होता.

ऐसे ही चुनावी रिश्तेदारों की नब्ज़ पकड़ते हुए बब्बू मान एक गाना लेकर आये हैं, जो कहने को किसी व्यंग्य से कम नहीं? इसमें न सिर्फ़ उन्होंने नेताओं की पोलपट्टी खोली है, बल्कि उन चुनावी मेंढकों को भी पकड़ा है, जो वादों की झड़ी लगा कर देश बदलने का ख़्वाब दिखाते हैं.