देश के हर शहर-कस्बे में विकास कार्य तेज़ी हो रहे हैं, जिसकी भेंट चढ़ते हैं पेड़. कभी मेट्रो तो कभी एक्सप्रेस-वे के नाम पर अब तक न जाने कितने ही पेड़ों को काटा जा चुका है, इसका कोई हिसाब नहीं है. पर क्या पेड़ काटने के अलावा हमारे पास कोई और दूसरा विकल्प नहीं, जिससे विकास भी हो और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचे? जी हां, बिल्कुल है और वो है ट्री-ट्रांसलोकेटिंग, जिसमें माहिर हैं हैदराबाद के रहने वाले रामचंद्र अप्पारी, जो अब तक हज़ारों पेड़ों को कटने से बचा चुके हैं.

रामचंद्र कि कहानी जानने से पहले इस तकनीक के बारे में जान लेते हैं. ट्री-ट्रांसलोकेटिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके ज़रिये एक पेड़ की 80 प्रतिशत टहनियों और पत्तों को काट दिया जाता है. इसके बाद बचे हुए पेड़ को जड़ समेत उखाड़ कर दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया जाता है. ट्री-ट्रांसलोकेटिंग करने की ये तकनीक 2000 साल पुरानी है. इसे सबसे पहले मिस्र में शुरू किया गया था. विदेशों में आज भी इसके ज़रिये हज़ारों पेड़ों की जान बचाई जा रही है.

चलिए अब आपको बताते हैं कि हमारे देश में ये कैसे आई. दरअसल, हैदराबाद में मेट्रो परियोजना के चलते सैंकड़ों पेड़ों को काटा जाना था, इस बात से परेशान थे रामचंद्र अप्पारी. वो एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करते थे, जबकि उन्होंने एग्रीकल्चर में डिग्री हासिल की थी.

इसलिए उन्होंने इसका हल निकालने की ठानी. रिसर्च करने के बाद रामचंद्र को ट्री-ट्रांसलोकेटिंग नाम की तकनीक का पता चला. फिर क्या था, उन्होंने नौकरी छोड़ी और अपनी कंपनी बनाकर मेट्रो परियोजना के अध्यक्ष के सामने प्रस्ताव रख दिया. रामचंद्र का ये प्रस्ताव उन्हें भा गया और इसके लिए उनको मंजूरी मिल गई.

इस तरह 800 पेड़ हैदराबाद मेट्रो की भेंट चढ़ने से बच गए. रामचंद्र अप्पारी की कंपनी का नाम है Green Morning Horticulture Services Private Limited. इसकी शुरुआत इन्होंने साल 2010 में की थी. तब से लेकर अब तक वो तकरीबन 7000 पेड़ रिलोकेट कर चुके हैं.

इनकी कंपनी सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए काम करती है. इसके लिए वो प्रति पेड़ 10000 से 1 लाख रुपये चार्ज़ करती है. ये इस बात पर निर्भर करता है कि पेड़ को कितनी दूर रिलोकेट करना है.

हैं न कमाल की तकनीक, अगर हम इसके ज़रिये सैंकड़ों पेड़ों को कटने से रोक पाए, तो हम पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाने में कामयाब हो जाएंगे. सरकार को इस विकल्प पर भी ध्यान देना चाहिए.

Source: Thenewsminute