रामायण हिन्दू धर्म के दो सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है. भगवान राम के जीवन पर आधारित इस ग्रन्थ में लोगों की अपार श्रद्धा है. वाल्मिकी जी द्वारा लिखी गयी रामायण में कई सीखने लायक बातें हैं. लेकिन कई ऐसी बातें भी हैं, जो आपको रामायण के बारे में नहीं पता होंगी. आज हम आपको ऐसी ही कुछ बातें बता रहे हैं.

1. वाल्मिकी ने सबसे पहले रामायण लिखी थी, तुलसीदास ने बाद में रामचरितमानस नाम से इसी का रूपांतर लिखा था.

2. सीता जनक की नहीं, भूदेवी की पुत्री थीं. वो धरती पर मां लक्ष्मी का अवतार थीं.

3. जब रावण भगवान शिव के दर्शन करने कैलाश गया था, तब उन्हें नंदी ने द्वार पर रोक लिया था. रावण ने नंदी का मज़ाक उड़ाया था. इस पर क्रोधित होकर नंदी ने उसे श्राप दिया था कि उसके साम्राज्य का सर्वनाश बन्दर करेंगे. ये श्राप सच हुआ और वानर सेना द्वारा रावण के साम्राज्य का विनाश हुआ.

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4. लक्ष्मण अपने भाई और भाभी की सुरक्षा के लिए इतने तत्पर थे कि वो 14 साल के वनवास के दौरान एक क्षण को भी नहीं सोये. नींद की देवी निंद्रा ने कहा था कि उनकी जगह किसी और को सोना होगा, तो लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला 14 साल तक सोती रहीं. मेघनाद को वरदान मिला था कि उसे केवल वो ही हरा सकता है, जो नींद को हरा चुका हो, इसलिए लक्ष्मण उसका वध कर पाए.

5. राम और उनके भाइयों के जन्म से पहले राजा दशरथ को कौशल्या से शांता नाम की एक बेटी हुई थी. कौशल्या की बड़ी बहन वर्षिणी और उनके पति राजा रोमपद की कोई संतान नहीं थी. दशरथ ने उन्हें अपनी पुत्री दान की थी.

6. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने खुद अपना सिर काट लिया था, लेकिन उसका सिर बार-बार उग जाता था. इस तरह उसने 10 बार अपना सिर काटा. भगवान शिव ने यही दस सिर रावण को लौटाए थे.

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7.भगवान राम विष्णु का अवतार थे, भरत उनका सुदर्शन चक्र थे और शत्रुघन उनका शंख, लक्ष्मण को उनके शेष नाग का अवतार माना जाता है.

8. एक बार जब भगवान राम यम से भेंट कर रहे थे, तब उन्होंने लक्ष्मण को पहरा देने के लिए कहा था. यम ने उनके सामने शर्त रखी थी कि जो भी इस बीच उनके कक्ष में प्रवेश करेगा, उसे मरना होगा. इस बीच ऋषि दुर्वासा वहां पहुंच गए और रोके जाने पर अयोध्या को श्राप देने की बात करने लगे. इस पर लक्ष्मण को भीतर जाना पड़ा. इसके बाद उन्होंने सरयू जाकर अपने प्राण त्याग दिए.

9. राम के राजा बनने के बाद, एक बार उनके दरबार में नारद ने हनुमान को विश्वामित्र के अलावा सभी ऋषियों को प्रणाम करने को कहा, क्योंकि विश्वामित्र एक समय पर राजा थे. इसके बाद नारद ने जाकर विश्वामित्र को भड़काया और उन्होंने भगवान राम से हनुमानजी को सज़ा देने को कहा. राम जी अपने गुरु का आदेश नहीं टाल सकते थे, इसलिए उन्होंने हनुमानजी पर तीर चलाये, लेकिन हनुमानजी राम-राम जपते रहे और उन्हें कुछ नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने हनुमानजी पर ब्रह्मास्त्र भी चलाया, पर उसका भी उन पर कोई असर नहीं हुआ. ये देख कर नारदजी ने युद्ध रुकवा दिया.

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10. धन के देवता कुबेर, रावण के सौतेले भाई थे. रावण ने उन्हें हरा कर लंका को जीता था.

11. राम सेतु जब बन रहा था, तब एक गिलहरी भी अपना योगदान देना चाहती थी. जब वो छोटे पत्थर उठाकर लायी, तो बंदरों ने उस पर हंसना शुरू कर दिया. इससे दुखी होकर वो श्री राम के पास बैठ गयी. तब श्री राम ने उसे प्यार से सहलाया था, तभी से गिलहरियों के ऊपर धारियां बन गयीं.

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12. जब भगवान राम और उनकी सेना से लड़ने के लिए केवल रावण बचा था, तब उसने अपनी विजय के लिए एक यज्ञ करवाया. अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए उसे ये यज्ञ बीच में छोड़ कर नहीं जाना था. ये जानने पर भगवान राम ने बाली के बेटे अंगद को वानर सेना के साथ रावण के महल में भेजा.

वानर वहां जाकर हुडदंग मचाने लगे, लेकिन रावण पर कोई असर नहीं हुआ. अंगद ने मंदोदरी के बाल खींचना शुरू कर दिया. मंदोदरी ने इस पर रावण को ताना मारा कि राम अपनी पत्नी के लिए कितना कुछ कर रहे हैं और उसे भी मंदोदरी की रक्षा करनी चाहिए. इस पर रावण को यज्ञ छोड़ना पड़ा और उसकी हार हुई.

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13. युद्ध के बाद हनुमानजी हिमालय चले गए थे. वहां उन्होंने पहाड़ों पर अपने नाखूनों से खोद कर भगवान राम की कहानी लिख दी थी. जब वाल्मिकी अपनी रामायण दिखाने वहां पहुंचे, तो ये देख कर निराश हो गए कि हनुमानजी की राम कथा उनसे बेहतर है. ये देख कर हनुमानजी ने अपनी राम कथा को मिटा डाला.

14. गायत्री मन्त्र में 24 अक्षर हैं और रामायण में 24,000 श्लोक हैं. हर 1000वें श्लोक का पहला अक्षर मिलाया जाये, तो गायत्री मन्त्र बनता है.

15. ब्रह्मा ने रावण, कुम्भकरण और विभीषण को वरदान मांगने के लिए कहा था. इंद्र को डर था कि कुम्भकरण इन्द्रासन मांग सकता है. इसलिए उन्होंने सरस्वती जी से कह कर उसकी जीभ बंधवा दी और उसने इन्द्रासन की जगह निंद्रासन मांग लिया.

रावण ने ब्रह्मा से श्राप बन चुका वरदान वापस लेने को कहा, तो उन्होंने कुम्भकरण को आधे साल सोते रहने का और आधे साल जागने का वरदान दिया. युद्ध के दौरान उसे जगाने के लिए उस पर से हज़ारों हाथी गुज़ारे गए थे. ये उसे उठाने का एकमात्र तरीका था.