जोनो लैंकेस्टर ने अपनी सारी ज़िंदगी एक अजीबोगरीब दिखने वाले शख़्स के तौर पर ही बिताई है. जोनो को एक बेहद दुर्लभ जेनेटिक समस्या थी. इसे ‘Treacher Collins’ सिंड्रोम कहा जाता है. जोनो की Cheek Bones न होने की वजह से उनकी आंखे हतोत्साहित और मुरझाई हुई लगती थीं. दूसरों से काफी अलग दिखने के चलते जोनो का स्कूल में बेहद मज़ाक उड़ाया जाता था और इसी वजह से उसका आत्मविश्वास स्कूल के समय बेहद कम था. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘मैं अपनी मां से छिपाया करता था कि मैं कितना परेशान और तनाव में हूं. उन्होंने मुझे इतना कुछ दिया है, मैं उन्हें दुखी नहीं करना चाहता था’.
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जोनो के माता-पिता ने उसे पैदा होने के 36 घंटों बाद ही छोड़ दिया था, लेकिन उसे उसकी सौतेली मां जीन लैंकेस्टर ने अपनाया. टीनेएज सालों में वो कई बेचैनियों के साथ घिरा हुआ था. वो पड़ोस के बच्चों को चीज़ें खरीद कर देता था ताकि वे उससे बातें कर सकें लेकिन उसके प्रयास व्यर्थ साबित हो रहे थे. जोनो ने शराब पीना शुरू कर दिया था. 19 साल की उम्र में जोनो को एक ऐसे बार में नौकरी ऑफ़र हुई जहां वो अक्सर ड्रिंक करने जाया करता था. बार के मालिक ने खुद जोनो को ये नौकरी ऑफ़र की. यही उसकी ज़िंदगी का टर्निंग प्वाइंट बन गया.
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हालांकि नौकरी से पहले जोनो थोड़ा डरा हुआ था कि शराब पीने के बाद कहीं वहां मौजूद लोग उसके चेहरे के बारे में भद्दा मज़ाक न करने लगें. लेकिन उम्मीदों के विपरीत जोनो को इस बार में अच्छे लोग मिले जो गंभीरता से उसकी परेशानी के बारे में जानना चाहते थे.
जोनो ने स्पोर्ट्स साइंस में डिप्लोमा भी हासिल किया और वो एक स्थानीय जिम में फ़िटनेस इंस्ट्रक्टर बन गया है. एक ऐसी जगह काम करना जहां पूरे दिन शीशे को देखने की ज़रूरत पड़े, जोनो अपने आप के साथ सहज होते चले गए और उसके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होनी शुरू हुई.
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जोनो की लॉरा से मुलाकात जिम में ही हुई थी और आज वे दोनों एक रिलेशनशिप में हैं. जोनो इसके अलावा सामाजिक तौर पर भी काफ़ी सक्रिय हैं. वे अपनी इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के प्रवक्ता हैं और इसके अलावा वे Adults with Autism नाम से एक ग्रुप भी चलाते हैं.
जोनो बचपन और टीनेएज सालों में अपने माता-पिता से बेहद नफ़रत करते थे और उन्हें अक्सर ढ़ूंढ़ने की कोशिशें भी करते थे. हालांकि पिछले कुछ सालों में उन्होंने ऐसा करना छोड़ दिया है और उनका दिमाग अब काफ़ी हद तक इस मसले को लेकर शांत है.
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जोनो, चेहरे को ठीक करने वाली सर्जरी को भी मना कर चुके हैं. वे इस दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से ग्रस्त बच्चों के साथ काफ़ी वक्त बिताते हैं. वे इसके बारे में लोगों को जागरूक भी करते हैं.