साल 2020 में आई महामारी कोविड- 19 ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है. इसकी सबसे अधिक मार लोगों पर पड़ी है जो आर्थिक रूप से कमज़ोर थे और वो जो ग़रीबी के चलते सड़कों पर रहने को मज़बूर हैं. लेकिन मुश्किल की इन घड़ियों में भी कुछ लोगों ने लोगों मनवता को ज़िंदा रखा और ऐसे लोगों की मदद करने के बार में न सिर्फ़ सोचा बल्कि पहल कर उनकी मदद भी की.
ये किसी रियल हीरो से कम नहीं. चलिए आज आपको साल 2020 के कुछ रियल लाइफ़ हीरोज़ से मिलवा देते हैं, जो हमारे लिए किसी फ़रिश्ते से कम नहीं.
1. अनिल कुमार यू.
अनिल कुमार एक ऑटो ड्राइवर हैं. वो पिछले 1 महीने से रोज़ाना क़रीब 8 लोगों खाना मुहैया करा रहे हैं. कम आय होने के बावजूद वो ये नेक काम करने में जुटे हुए हैं.
2. सोनू सूद
बॉलीवुड स्टार सोनू सूद ने इस साल सैंकड़ों लोगों की मदद की. लॉकडाउन में अलग-अलग शहरों में फंसे लोगों को अपने ख़र्चे पर घर पहुंचाया. अभी भी वो ज़रूरतमंदों की हेल्प करने में लगे हुए हैं. उन्हें लोग धरती पर मौजूद भगवान तक कहने लगे हैं.
3. विकास खन्ना
शेफ़ विकास खन्ना ने विदेश में रहते हुए भी लॉकडाउन में 125 शहरों के प्रवासी मज़दूरों और दूसरे ग़रीब लोगों में 90 लाख खाने के पैकेट वितरित किए थे. इसके अलावा उन्होंने जून में ‘बरकत’ नाम की दुनिया की सबसे बड़ी भोजन वितरण योजना भी शुरू की थी. जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर के ग़रीब लोगों में एक दिन में 20 लाख से अधिक फ़ूड के पैकेट बांटे गए थे.
4. मुगदली तिर्की
55 साल की मुगदली तिर्की एक नर्स हैं. वो पिछले 10 साल से छत्तीसगढ़ के सर्गुजा ज़िले के सोर गांव की देखभाल कर रही हैं. कोरोना काल में भी उन्होंने गांव के लोगों का इलाज करना नहीं छोड़ा. वो समय-समय पर बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन भी उपलब्ध कराती रहती हैं.
5. तेजस सोनवणे
कॉन्स्टेबल तेजस सोनवणे कफ़ परेड पुलिस स्टेशन में पोस्टेड हैं. तेजस ने अपने एक दोस्त की कार को ‘कोविड एम्बुलेंस’ बना दिया और वो ख़ुद PPE किट पहनकर मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाते हैं. ड्यूटी के साथ ही वो इस काम भी करते हैं. इसमें उनके उच्च अधिकारी भी पूरा सहयोग देते हैं.
6. जोथिमणी
तिरुची की सीरियस क्राइम स्क्वॉड की इंस्पेक्टर जोथिमणी (Jothimani) ड्यूटी के बाद ग़रीब लोगों में खाना बांटने का काम करती हैं. वो हर रविवार को 150-300 ग़रीब लोगों को खाना खिलाती हैं वो भी अपनी सैलरी से.
7. संदीप कुमार
मोहली के रहने वाले संदीप कुमार एक टीचर हैं. वो ग़रीब बच्चों को किताबें और पढ़ाई लिखाई का दूसरा सामान मुफ़्त में अपनी मोबाईल लाइब्रेरी के ज़रिये पहुंचाते हैं. संदीप लॉकडाउन से लेकर अब तक 10 हज़ार कॉपी-किताबें बच्चों में बांट चुके हैं.
8. पूल पांडियन
पूल पांडियन भिक्षा मांगकर अपना गुज़ारा करते हैं. लेकिन कोरोना महामारी से लड़ने के लिए इन्होंने कुछ समय पहले राज्य सरकार को 90 हज़ार रुपये दान किए हैं. ये पैसे उन्होंने भिक्षा मांगकर जुटाए थे. राज्य सरकार ने उन्हें सामाजिक कार्यकरता का दर्जा दिया है.
9. एन. बसकर
एन. बसकर एक ऑटो ड्राइवर है, जो चेन्नई में रहते हैं. वो सड़क पर पड़े घायल और बीमार पशुओं को अस्पताल पहुंचा उनका इलाज करवाते हैं. वो ये काम पिछले 3 साल से कर रहे हैं. अब तक वो लगभग 200 पशुओं की जान बचा चुके हैं.
10. खैरा बाबा
महाराष्ट्र के यवतमाल में नेशनल हाईवे पर बने एक टिन शेड से बने गरुद्वारे रहते हैं खैरा बाबा. वो यहां कई वर्षों से लोगों के लिए फ़्री में लंगर बनाते और बांटते आ रहे हैं. लॉकडाउन के बीच यहां से गुज़रने वाले लाखों लोगों को भी इन्होंने मुफ़्त में भोजन कराया और आज भी उनकी ये सेवा जारी है. वो इंसानों के अलावा यहां पर रहने वाले सैंकड़ों स्ड्रे डॉग्स, गाय, भैंस आदि को भी लंगर खिलाते हैं.
11. शशि गौड़ और उनकी टीम
शशि गौड़ और उनकी टीम हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी के आस-पास के इलाकों के स्ट्रे डॉग्स को खाना खिलाते हैं. इसके लिए वो अलग-अलग टिफ़िन सेंटर और कैंटीन से बचा हुआ खाना एकत्र कर उन्हें देते हैं.
12. मोमिता बी.
मोमिता बी. कैमिस्ट्री टीचर हैं. लॉकडाउन में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रही हैं. बच्चों की पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए इसलिए उन्होंने हैंगर और कुर्सी की मदद से ट्राईपोड बना डाला. इस तरह वो मोबाइल को ठीक ब्लैक बोर्ड के सामने रख बच्चों को पढ़ा पा रही हैं.
13. अब्दुल मालाबारी
अब्दुल कोरोना वायरस महामारी से मरने वाले मरीज़ों को सम्मान पूर्वक दफ़नाने का काम कर रहे हैं. गुजरात के रहने वाले अब्दुल पिछले तीन दशक से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं.
14. गुरदेव कौर धालीवाल
गुरदेव कौर जी 98 साल की हैं. वो कोरोना महामारी से लोगों को बचाने के लिए उनके लिए मास्क तैयार करती हैं. पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी ट्वीट कर उनके जज़्बे को सलाम किया था.
15. संजय देहुरी
संजय देहुरी भुवनेश्वर एम्स में बतौर हाउस कीपिंग स्टाफ़ काम करते हैं. ये इस हॉस्पिटल के एक मात्र ऐसे वर्कर हैं जो कोरोना काल में अस्पताल से निकलने वाले Biomedical Waste को उठाने और उसे नष्ट करने का काम कर रहे हैं.
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