‘इस कपड़े में मोटी लग रही हो’

‘ये क्या पहना है? लड़कों जैसी लग रही हो’ 
‘वो मत पहनना और पतली लगोगी’  

ये मत करो, वो मत पहनो, ये मत लगाओ… बाप रे! हम हर वक़्त, हर पल दूसरों को कोई और रूप देने में लगे हुए हैं. हम सबने अपनी नज़रों में सुंदरता की एक तस्वीर गढ़ ली है जिसको हम दूसरों पर थोपते रहते हैं. जैसे ही हमे उनकी ‘खामियां’ दिखीं हम तुरंत उसे बदलने में लग जाते हैं. कभी सिखा ही नहीं पाते कि उसकी ख़ामी उसकी कमी नहीं उसकी पहचान है. भूल जाते हैं उनको बताना और सिखाना कि हम जैसे भी हैं अपने आप से प्यार करना बेहद ज़रूरी है.

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जीवन भर आईने और दूसरों के सामने एक ऐसा इंसान बनने की कोशिश करते रहते हैं जो हम कभी थे ही नहीं. 

ऐसी ही एक शख़्स की कहानी हम लेकर आए हैं, जिसे पढ़ कर शायद आपके पास बहुत सारी चीजों के लिए एक नया नज़रिया होगा. 

“मैं कक्षा 11 में थी और अपने ट्यूशन से लौटने के बाद पास के एक मॉल जा रही थी. वो एक सामान्य दिन था भी और नहीं भी, दोनों. वो निर्भया रेप केस का समय था और पूरा शहर परेशान था. बाकी माता-पिता की तरह मेरे भी माता-पिता बहुत परेशान थे. हम जल्दबाज़ी में थे और हमने सोचा कि घर पहुंचने से पहले कुछ खा लेना चाहिए. 

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मुझे अभी भी याद है, उसने कहा, ‘चिंता मत करो, कोई भी तुम्हारा बलात्कार नहीं करेगा, उन्हें पता भी नहीं होगा कि तुम एक लड़की हो जब तक कि वे तुम्हारे कपड़े न फाड़ दें.’ मैं तुरंत वहां से निकली और पास के मेट्रो स्टेशन पर चली गई. उस समय, इस बात ने वास्तव में मुझे विचलित किया और मैं अपने शरीर के बारे में असहज हो गई – एक ऐसी चीज़ जो अभी तक मेरे मन में नहीं थी, अब एक घाव बन गई थी. 

मैं हमेशा ऐसी ब्रा पहनने की जि़द करता थी जो मेरे साइज़ से बड़ी होती थी. मैं Underwires पहनती थी और अज़ीब अफ़वाहों को भी मानती थी जैसे ‘कॉड लिवर तेल से ब्रेस्ट साइज़ बढ़ जाता है’. भले ही ये सारी बातें अब सुनने में बेवकूफ़ लगेंगी लेकिन बचपन में आपको जो भी बात बोली जाती है, आप उस पर यकीन कर लेते हो और हक़ीक़त में आप उससे निपटना कभी नहीं सीखते. 

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जब मैंने कॉलेज जाना शुरू किया तो मैं अपने आप को फिर से मज़बूत करना चाहती थी. नए सिरे से सब शुरू करना चाहता थी. नई लड़ाई करने की हिम्मत के साथ पुरानी चीजों को बदलने का समय था. मैं हर किसी को या हर वो चीज़ छो़ड़ना चाहता थी जो मुझे उस व्यक्ति की याद दिलाती थी जो मैं थी, या मुझे विश्वास था कि मैं थी. मैं नए सिरे से शुरुआत कर रहा थी इसलिए कॉलेज में कुछ महीने होते ही मैंने अपने बालों को काटने का फैसला किया. 

काफ़ी लंबे समय के लिए, मेरे मन में सुंदरता का मतलब- बड़े स्तन और लंबे बाल शामिल थे. एक चीज, जो मेरे पास नहीं थी और दूसरा मैं अपने साथ होने नहीं देती. ये कई बार मुश्किल हो जाता है. कभी-कभी कोई गार्ड मुझे किसी मेट्रो स्टेशन से निकाल भी देते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि मैं एक लड़का हूं जो लेडीज कोच में जाने की कोशिश कर रहा है या बस में लोग कहते है, ‘भैया थोडा साइड’ लेकिन अब मैं इन सब अनावश्यक विचारों से ऊपर उठ चुकी हूं.

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हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो लगातार आपके जीवन में टिप्पणी और हस्तक्षेप करने की ज़रूरत समझते हैं. मुझे लगता है कि मैं एक बच्चे के रूप में सबसे अधिक की गई गलतियों में से एक है, मेरे रूप या मेरे शरीर के बारे में की सभी नकारात्मक टिप्पणियों को गंभीरता से लेना. मैं ये हमेशा जानती हूं कि आप पहली नज़र में एक अजनबी के साथ प्यार कर सकते हैं, लेकिन अपने आप से प्यार करने के लिए जीवन भर लेता है. लेकिन अब, मैं ख़ुद पर विश्वास करती हूं.”