पितृ पक्ष, जिन्हें श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है. अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान दिखाने के लिए श्राद्ध किये जाते हैं. हिन्दू मान्यता के अनुसार, आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक श्राद्ध किए जाते हैं. इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहे हैं. भारतीय संस्कृति में श्राद्ध को एक महापर्व का दर्जा दिया गया है क्योंकि ये चौदह दिनों तक चलता है. हिन्दू धर्म में इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करने के साथ-साथ उनको धन्यवाद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

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मान्यता है कि इस दौरान हमारे पितृ या पूर्वज धरती पर हमसे मिलने आते हैं और हमें अपना आशीर्वाद देते हैं. लेकिन पितृपक्ष को लेकर लोगों में कई तरह की धारणाएं भी हैं. जैसे इन 14 दिनों की अवधि को अशुभ माना जाता है और इस समय कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, कुछ नया नहीं खरीदना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, मांस मछली नहीं खाना चाहिए आदि. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में किसी भी तरह की नई चीज़, जैसे घर, कपड़े, सोना आदि नहीं ख़रीदने चाहिए. मगर क्यों क्या आप ये जानते हैं?

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धर्म शास्त्रियों और विद्वानों के अनुसार, ये 14 दिन केवल पितरों के लिए होते हैं और इस समय आपका ध्यान केवल उनके तर्पण और उनको याद करने में होना चाहिए. वहीं अगर आप इस दौरान नए कपड़े, घर या कोई और चीज़ खरीदते हैं या खरीदने के बारे में सोचते हैं, तो आपका ध्यान अपने पितरों पर से हट जाएगा और वो आपसे नाराज़ हो जाएंगे.

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एक मान्यता ये भी है कि श्राद्धों में खरीदी गयी सभी वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं, जिनका उपयोग करना उचित नहीं होता है क्योंकि उनमें आत्माओं का अंश होता है. लोगों का ये भी मानना है कि अगर इस वक़्त कोई नई चीज़ ख़रीदी जायेगी, तो उससे हमारे पितरों को दुःख होगा और वो नाराज़ होंगे. ऐसा इसल‌िए भी है क्योंक‌ि प‌ितृपक्ष उत्सव का नहीं, बल्क‌ि एक तरह से शोक व्यक्त करने का समय होता है उनके प्रत‌ि जो अब हमारे बीच नहीं रहे.

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लेकिन अगर शास्त्रों की मानें तो ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि श्राद्ध पक्ष में खरीदारी नहीं करनी चाहिए. कुछ विद्वानों का मानना है कि श्राद्ध पक्ष अशुभ नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश चतुर्थी और नवरात्र के बीच का जो समय होता है, उसमें पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष आते हैं. तो ये अशुभ कैसे हो सकते हैं? और हिन्दू धर्म में ये भी मान्यता है कि किसी भी शुभ काम का आरम्भ गणेश पूजन से की जाती है, और श्राद्ध से पहले ही गणेश जी का पूजन होता है गणेश चतुर्थी के रूप में. इस लिहाज से मानें तो श्राद्ध पक्ष अशुभ नहीं होते.

पितृ पृथ्वी पर आते हैं और देखते हैं कि उनके बच्चे किस स्थिति में हैं. अगर उनके बच्चे कोई चीज़ खरीदते हैं, तो पितरों को खुशी ही होती है. लेकिन अगर आप अपनी खुशियों के साथ-साथ पितरों का भी ध्यान करते हैं, तो श्राद्ध पक्ष में किसी भी तरह की शॉपिंग करने में कोई बुराई नहीं है.