कहते हैं धोखा इंसान की फ़ितरत होती है! जो एक बार धोखा देता है, वो बार-बार धोखा दे सकता है. धोखा अगर प्यार में हो, तो वो कानूनी रूप से तो नहीं, लेकिन नैतिक रूप से गलत है. हम अकसर जोड़ियों को देखते हैं, साथ वक़्त बिताते, घूमते-फिरते, खुश रहते फिर अचानक दोनों अलग हो जाते हैं. अगर ये ब्रेकअप दोनों की सहमती से न हो, तो ज़ाहिर है किसी एक ने तो धोखा दिया है.
दरअसल कुछ लोगों की आदत होती है धोखा देना. प्यार में धोखा देने के कई कारण हो सकते हैं, किसी को बेहतर पार्टनर मिल सकता है, विचारों के मतभेद, सेक्स लाइफ़ में प्रॉब्लम या कुछ और.
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अजीब बात ये है कि धोखा देने वाले व्यक्ति को लगता है कि वो सही है और सवाल-जवाब करने पर वो अपने बचाव में बहस करने लगता है.
चलिए धोखे की इस बात का वैज्ञानिक पक्ष देखते हैं. बीते दिनों एक रिसर्च में पाया गया है कि धोखा कोई एक बार का काम नहीं है, ऐसा व्यक्ति कई बार धोखा दे सकता है.
ये रिसर्च दिमाग के एक भाग ‘Amygdala’ पर हुई थी. ये भाग नकारात्मक विचारों को उत्तपन्न करता है. ये वो भाग है जो भावनाओं को नियंत्रित करता है, खासतौर से इंसान की उत्तेजना पर. इसके बाद ये तब प्रतिक्रिया देते हैं, जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है.
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जब कोई धोखा देते पकड़ा जाता है, तो उसके गलत पक्ष की प्रतिक्रिया कम हो जाती है. उसकी सोच पर भावनाएं हावी नहीं होती, न ही वो नम्र रहता है.
ऐसी स्थिति में दिमाग धोखा देने को सही सिद्ध करने में लग जाता है, जिससे इंसान को अपनी गलती का एहसास कम होता है. रिसर्च के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी और के फ़ायदे के लिए धोखा दे, तो उनमें बेईमानी निरंतर दिखाई देती है. अगर वो पूरी तरह से किसी और के फ़ायदे के लिए धोखा देता है, तो उसे लगता है कि वो नैतिक रूप से सही कर रहा है.