रमज़ान का पाक महीना शुरू हो चुका है. इफ़्तार में पकौड़े, फल, खजूर के अलावा एक और चीज़ होती है रूह अफ़्ज़ा…ख़ासकर उत्तर भारत के कई घरों में.


सिर्फ़ रमज़ान ही क्यों, गर्मियों में भी कई उत्तर भारतीय घरों के फ़्रिज में ख़ास जगह रहती है रूह अफ़्ज़ा की.  

Economic Times

हमदर्द के रूह अफ़्ज़ा की मार्केट में पिछले 4-5 महीनों से किल्लत हो गई है. The Print की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब ये सिर्फ़ ऑनलाइन ही मिल रहा है.


The Print की रिपोर्ट को देखने के बाद, पाकिस्तान के हमदर्द के CEO और MD ने ट्वीट कर ये कहा  

‘हम वाघा बॉर्डर के ज़रिए रूह अफ़्ज़ा और रूह अफ़्ज़ा गो भेज सकते हैं अगर भारत सरकार इजाज़त दे तो.’ 

इस पर लोगों का रिएक्शन- 

हकीम हाफ़िज़ के छोटे बेटे, हकीम मोहम्मद सईद बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे और वहां उन्होंने Hamdard Laboratories (Waqf) Pakistan की स्थापना की.  

इस पूरे वाकये पर ट्विटर पर भी लोगों ने लिखा है- 

गर्मियों के बिना रूह अफ़्ज़ा और रूह अफ़्ज़ा के बिना गर्मियां अधूरी हैं. उम्मीद है सारा मसला जल्द ही सुलझ जाए.