Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में क़रीब 280 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और हज़ार से ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए. ऐसे में एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा और तकनीक पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच भारतीय रेलवे (Indian Railways) के उस ‘कवच सिस्टम’ (Kavach System) को लेकर भी बात हो रही है, जिसका मार्च 2022 में ट्रायल किया गया था. उस वक़्त ये दावा किया गया था कि कवच भारतीय रेल में हादसों को रोकने की सस्ती और बेहतर तकनीक है. (What Is Kavach System)

ऐसे में आइए जानते हैं क्या है कवच और कैसे ये ट्रेन हादसों को रोक सकता है?

क्या है कवच (What Is Kavach System)

ट्रेन एक्सीडेंट्स को रोकने के लिए ‘कवच’ स्वदेशी तकनीक है, जिसका पूरा नाम है ‘ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम’ (Train Collision Avoidance System). ये रेलवे का ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. ये कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सेट होता है, जो ट्रेन के इंजन के अलावा रेलवे के रूट पर भी लगाई जाती है.

ट्रेन हादसे का शिकार न हों इसके लिए इसमें रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइसेस को ट्रेन, ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर की दूरी पर इंस्टॉल किया जाता है. इस सिस्टम में दूसरे कंपोनेंट्स से अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए जुड़े रहते हैं.

काम कैसे करता है कवच सिस्टम

कवच सिस्टम में दो ट्रेनों के एक ही ट्रैक पर एक-दूसरे के क़रीब आने पर ट्रेन सिग्लन, इंडिकेटर और अलार्म के ज़रिए लोको पायलट को इसकी सूचना मिल जाती है. अगर ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है.

साथ ही, कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. जैसे ही मालूम होता है कि ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वो पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है. कवच सिस्टम जिस ट्रैक और रूट पर लगा होता है वो उस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेन के मूवमेंट को भी मॉनिटर करता है.

ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर ट्रेनों में कवच सिस्टम लगा होता तो ये ओडिशा ट्रेन हादसा नहीं होता. पूर्व रेल मंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि अगर रूट पर एंटी कोलिजन डिवाइस लगा होता तो ये हादसा नहीं होता.

अब तक कितने ट्रेनों में इंस्टॉल है कवच सिस्टम

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पिछले साल यानि मार्च 2022 में सिकंदराबाद के पास ‘कवच’ के ट्रायल में ख़ुद शरीक हुए थे. रेल मंत्री ने ख़ुद ट्रेन के इंजन में सवार होकर इसके ट्रायल के वीडियो बनवाए थे. परीक्षण के दौरान दो ट्रेनें एक-दूसरे की ओर बढ़ रही थीं, जिससे आमने-सामने की टक्कर की स्थिति पैदा हो गई. ‘कवच’ प्रणाली ने स्वचालित ब्रेकिंग सिस्टम की शुरुआत की और ट्रेन को 380 मीटर की दूरी पर रोक दिया.

ट्रायल के बाद ये दावा किया गया था कि साल 2022-23 तक इसे 2000 किलोमीटर नेटवर्क पर लगा लिया जाएगा. वहीं, 23 दिसंबर 2022 को राज्यसभा में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया था कि आने वाले समय में कवच सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से इंस्टॉल किया जाएगा. कवच सिस्टम को अब तक साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट के साथ साथ 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है.

फ़िलहाल दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रूट पर लगाया जा रहा है. यानि ओडिशा में जिस जगह पर हादसा हुआ है वहां ‘कवच’ नहीं लगाया गया है.

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