युद्ध में कोई भी जीते नुक्सान दोनों पक्षों का होता है, कोई अपने कई करीबियों को खोकर जीत का जश्न मनाता है, तो कोई हार का दुःख. मगर इन सबके बीच में जो सबसे ज़्यादा पिसते हैं, वो होते हैं जंग में शहीद होने वाले सिपाही के परिवार वाले. आज हम एक ऐसे ही शहीद की पत्नी की धैर्य और साहस की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं.

The Darjeeling Chronicle

इस बहादुर महिला का नाम संगीता मल्ल है, वो राइफ़लमैन शिशिर, जो जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे, की पत्नी हैं और ये हाल ही में भारतीय सेना में एक अधिकारी के रूप में शामिल हुई हैं.

Times of India के अनुसार, बीते शनिवार को वो चेन्नई में ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पास आउट होने के बाद सेना में शामिल हुईं. साल 2015 में जब शिशिर ने जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी, उस टाइम संगीता एक शिक्षक के रूप में काम कर रहीं थीं. पति की मौत के बाद संगीता ने अपनी सास की देखभाल करने और उनके साथ रहने के लिए नौकरी छोड़ दी थी.

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, उस कठिन समय में संगीता को न केवल अपने पति की मौत की त्रासदी से जूझना पड़ा, बल्कि उसी दौरान दुर्घटनावश उनका गर्भपात भी हुआ था. इस बारे में बात करते हुए उनके देवर सुशांत मल्ल ने कहा,

मेरी मां ने उनका समर्थन किया और उन्हें आगे की पढ़ाई करने और बैंकिंग की नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित किया.
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वो आगे कहते हैं कि 2016 में रानीखेत में एक निवेश समारोह जहां उनके पति को मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित किया गया था, में भाग लेने के बाद संगीता सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित हुईं थीं.

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संगीता को अपने जीवन की सबसे दुखद घटनाओं के बाद अवसाद से भी जूझना पड़ा जिसका उन्होंने डंट कर सामना किया और इसके लिए हर कोई उनकी तारीफ़ करता है. ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में कठिन परिश्रम और लगन के साथ पास आउट होने के बाद संगीता को शॉर्ट सर्विस कमीशन में सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन मिला था.

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एक महिला के लिए पति और गर्भ में पल रहे बच्चे को एक साथ खोना शायद दुनिया की सबसे बड़ी दुखद घड़ी होगी, उसके इस दुःख का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं. इस दुःख की घड़ी से उबर कर अपने पैरों पर खड़ा होना हर महिला के लिए मिसाल है. हम आपको सलाम करते हैं संगीता आप इसी तरह आगे बढ़ती जाएं.