क्रिसमस के बारे में बात छिड़ते ही सैंटा क्लॉज़ का ज़िक्र होने लगता है. गोल-मटोल शरीर, लाल ड्रेस और पकी हुई दाढ़ी कुछ ऐसी छवि जे़हन में उभरने लगती है. बच्चों में सैंटा को लेकर एक अलग ही चार्म देखने को मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर क्रिसमस जिस सैंटा का इंतज़ार बड़ी ही बेसब्री से करते हैं, उसका इस त्यौहार से कुछ लेना-देना नहीं है. आइए जानते हैं सैंटा क्लॉज़ से जुड़े इस दिलचस्प फ़ैक्ट के बारे में…
क्रिसमस का पर्व ईसा मसीह के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है लेकिन ईसा मसीह के जन्मदिन और सैंटा का कोई कनेक्शन नहीं है. सैंटा क्लॉज़ की उत्पत्ति के बारे में किसी को पता नहीं, लोग मानते है संत निकोलस ही सैंटा का असल रूप हैं.
सैंटा क्लॉज़ से जुड़े इस सवाल का जवाब मिला है Quora पर. यहां लोगों ने बताया कि सैंटा क्लॉज़ का जन्म आखिरी बाईबल लिखे जाने के 100 साल बाद हुआ था. इसलिए उनका ज़िक्र बाईबल में नहीं है. सैंटा उर्फ़ संत निकोलस का जन्म 270AD में हुआ था.
सैंटा क्लॉज़ नाम Saint Nicholas से निकला है. डच भाषा में इसे Sinter Klass कहा जाता है, यहां Sinter संत और Klass का मतलब Nicholas है. जब डच अमेरिका पहुंचे, तो वहां के लोगों ने Sinter Klass को सैंटा क्लॉज़ पुकारना शुरू कर दिया. इस तरह Saint Nicholas सैंटा क्लॉज़ बन गए.
Saint Nicholas एक ग्रीक बिशप थे. वो लोगों के बीच अपनी दयालुता के लिए बहुत प्रसिद्ध थे. उनसे किसी का भी दुख देखा नहीं जाता था. इसलिए वो रात को छुपकर लोगों को गिफ़्ट दिया करते थे. बच्चों और ज़रूरतमंदों को गिफ़्ट दे कर उन्हें शांति महसूस होती थी.
उनसे संबंधित जूते और जु़राब में रखे सोने के सिक्कों की कई कहानियां तब सुनने को मिलती थी. इसलिए आज भी कहा जाता है कि सैंटा क्लॉज़ आएंगे और बच्चों की जु़राबों और जूतों में गिफ़्ट रख कर चले जाएंगे.
हालांकि, ईसा मसीह के जन्मदिन से सैंटा का कुछ लेना-देना नहीं है, लेकिन फिर भी ईसाई धर्म में ईसा मसीह और मदर मैरी के बाद उनका नाम ही सबसे अधिक लिया जाता है. इसलिए ये कहना ग़लत न होगा कि उनके बिना क्रिसमस का त्यौहार अधूरा है.
Feature Image Source: Sydney Morning Herald