कुछ दिनों पहले एक फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी, जिसे एक फ़ोटोग्राफ़र ने फ़ोटो पर लोगों की प्रतिक्रिया जानने के लिए Imgur और Reddit पर शेयर किया था. इस फ़ोटो में एक ही सड़क की Side-By-Side दो फ़ोटोज़ थीं और लोगों से पूछा गया था कि क्या इनमें कुछ अंतर है या नहीं? अब वो कहते हैं ना कि दुनिया में लोगों से जब झूठ बोला जाए तो वो उसे सच मान लेते हैं और पर सच को कभी सच नहीं मानते यही दुनिया की फ़ितरत है. ख़ैर, जब सोशल मीडिया पर ये फ़ोटो वायरल हुई तो अधिकतर लोगों ने इन दोनों फ़ोटोज़ को अलग-अलग ही माना. अब आप भी देख लीजिये ये फ़ोटो:

लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब एक ही फ़ोटो को एक साथ रखा गया है, तो वो अलग-अलग ही लगती हैं. और लोगों को लगता है कि ये कुछ और नहीं केवल आंखों का भ्रम है… पर क्या कभी सोचा है कि इसके पीछे का लॉजिक क्या है? नहीं ना, कोई बात नहीं हम बताते हैं इसके पीछे है साइंस.

इसमें कोई दोराय नहीं है कि इस फ़ोटो में दो इमेजेज़ वास्तव में एक समान हैं. और इस बात को साबित करने के लिए कई तरीके भी हैं, जिनमें भी सबसे आसान तरीका है दोनों फ़ोटोज़ में सड़कों के कोणों को मापना. और अगर आपको इमेजेज़ की एडिटिंग करने का अनुभव है, तो दोनों इमेजेज़ को एक के ऊपर एक रखकर भी इनके एक सी होने की बात की पुष्टि की जा सकती है.

और अगर इसके बाद भी कोई संदेह है और आपको Unix के कमांड ‘cmp’ के बारे में पता है, जिसके ज़रिये दो इमेजेज़ को Pixel-For-Pixel कम्पेयर किया जा सकता है, का इस्तेमाल कर सकते हैं.

और अगर आप इतनी टेक्निकल जांच नहीं करना चाहते हैं, तो आराम से काउच पर बैठिये और दोनों इमेजेज़ में दिखाई गई सड़क के कई सारे स्क्रीनशॉट्स लेकर उनको क्रॉप फ़ोटो गैलरी में थंबनेल साइज़ में देखिये… ये सिर्फ आपके मज़े के लिए हैं इसके पीछे कोई लॉजिक नहीं है.

अगर आपको लगता है कि सड़क वाली फ़ोटो का भ्रम ही अभी तक का पहला भ्रम है, तो यकीन मानिये आप बिलकुल ग़लत हैं. इस तरह के इल्ल्युज़न की खोज आज से 11 साल पहले Canada की Mcgill University में नेत्र विज्ञान विभाग में कार्यरत Fredrick Aa Kingdom, Ali Yoonessi, और Elena Gheorghiu की तिकड़ी ने की थी. इस Illusion को ‘Leaning Tower Illusion’ कहा जाता है और आंखों का इस प्रकार का भ्रम 2007 में वायरल हुई इस फ़ोटो से आया है.

इस प्रकार का भ्रम ‘Classic Visual Illusion’ होता है, जिसमें भ्रम की स्थिति इंसान के मन से उपजी होती है, ना कि इमेज में दिख रही रौशनी या छाया से. इसलिए इसकी तुलना ऑप्टिकल इल्ल्युज़न से नहीं की जा सकती है. ऑप्टिकल इल्ल्युज़न ज़्यादातर फ़ोटो के रंगों को लेकर होता है. जैसे किसी ड्रेस के रंग को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा होना.

Leaning Tower Illusion इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि हमारा दिमाग़ किसी जगह की विज़ुअल इन्फ़ॉर्मेशन के आधार पर उस जगह के बारे में अपनी एक इमेज बनाता है, जबकि हमको उसकी कोई जानकारी नहीं होती है. हमारा दिमाग़ तारों के एक जंजाल के सामान है जो बड़ी कठिनाई से किसी चीज़ की सही तरीके से पहचान करता है और हम जिस चीज़ को देखते हैं उसी के चारों तरफ दुनिया की कल्पना करने लगते हैं. यही कारण है कि किसी चीज़ को जितना दूर से देखो वो उतनी छोटी दिखाई पड़ती है और जब उसी चीज़ को आप पेपर पर देखते हैं तो आप उसके और छोटा दिखने की अपेक्षा करते हैं.

हमारा दिमाग़ एक इमेज में से किन्हीं लाइन्स को अलग नहीं कर सकता है. ठीक उसी प्रकार हमारा दिमाग़ दो एक समान Leaning Towers को दो अलग-अलग इमेजेज़ के रूप में अलग नहीं कर सकता. हम दो इमेजेज़ को 2d में देखते हैं, जबकि दिमाग़ उनको 3d में रियल टाइम में सिंगल इमेज के तौर पर ही देखता है. अगर हम हर टावर की आउटलाइन को ऊपर की तरफ से देखें, तो हमको पता चलेगा की वास्तव में वो लाइन्स दो पॉइंट्स पर आकर मिलेंगी. हमारे परिप्रेक्ष्य (Perspective) से वो दूर से देखने पर एक पॉइंट पर मिलती हुई दिखेंगी. लेकिन हमारा दिमाग़ जानता है कि टावर शंक्वाकार नहीं हैं और वास्तव में आपस में मिलता नहीं है.

Kingdom, Yoonessi, और Gheorghiu ने इस बात को Petronas Towers का उदाहरण देते हुए समझाया. उन्होंने बताया कि ये दोनों टावर्स हमारे दृश्टिकोण से एक-दूसरे से दूर जाते दिख रहे हैं. उनकी अपनी आउटलाइन्स, अगर उनके शीर्ष से अधिक विस्तारित हो तो एक पॉइंट पर आकर वो एक-दूसरे से मिल जाएंगी. लेकिन दिमाग़ को पता है कि दो टावर्स कभी आपस में मिलते नहीं हैं, इसलिए ये टावर्स फ़ोटो में एक-दूसरे पर झुके हुए दिखते हैं हैं केवल. इसका मतलब है कि भले ही दोनों टावर्स ज़मीन पर एक ही एंगल से बनाये गए हैं लेकिन वो ऊपर जाकर कभी मिलेंगे नहीं.

और ठीक ऐसा ही होता है Leaning Tower Illusion की स्थिति में भी. शायद अब इससे ज़्यादा भ्रमित करने वाला को Illusion नहीं होगा. नीचे दिए गए स्क्रीनशॉट्स में आप देख सकते हैं कि हर इमेज में दिख रहा सड़क मिलती हुई दिख रही है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है. आपको केवल पहली इमेज अलग दिखेगी. और जब आप पहली इमेज को ब्लॉक कर देंगे तो उसकी जगह दूसरी इमेज ले लेगी. और दूसरी के बाद तीसरी… ऐसे ही ये सिलसिला चलता रहेगा.

ठीक ऐसा ही हुआ है नीचे दी गई इमेज के साथ.

इसके लिए सबसे आसान तर्क है कि अगर हर टावर अपने से पहले वाले टावर की तुलना में अधिक झुकाता है तो सबसे दायीं वाला अंततः गिर ही जाएगा. और अगर आप दायें वाले को हटा देंगे तो उसके बाएं वाला उसका स्थान ले लेगा और फिर उसे गिर जाना चाहिए. ये प्रक्रिया एक के बाद एक बार -बार दोहराई जा सकती है. लेकिन तब भी ये पता नहीं चल पायेगा कि आखिर कौन सा टावर झुक रहा है और गिरने वाला है. ये प्रक्रिया वास्तविक जीवन में सही होने के लिए 2d से 3d कन्वर्ट होने पर दिमाग़ की क्षमता के ख़िलाफ़ जाता है. इसलिए हमारे दिमाग़ में इस तरह की कोई अनावश्यक गणना नहीं होती है.

इस तरह के भ्रम को पुनः निर्मित करना बहुत आसान है. इसके लिए आपको केवल एक ऐसी इमेज चाहिए जिसमें दूर जाती हुई आउटलाइन्स या विकर्ण लाइनें होनी चाहिए. यहां देखिये ऐसे ही कुछ और उदाहरण जिनको Akioshi Kitaoka ने बनाया है. Kitaoka, एक प्रायोगिक मनोवैज्ञानिक हैं, जो दृश्य भ्रम में माहिर हैं.

अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई इमेज है जिसको आप एक के बाद एक रखकर भ्रम पैदा कर सकते हैं, ततो कमेंट बॉक्स में भेजें.

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