आमतौर पर NEET की परीक्षा छात्र, डॉक्टर बनने, मेडिकल लाइन में जाने के लिए देते हैं. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के अरविंद कुमार ने ये परीक्षा पास करना सिर्फ़ डॉक्टर बनने के लिए ही नहीं दी थी.
Indian Express की रिपोर्ट के अनुसार, 26 साल के अरविंद ने अपने पिता को सम्मान दिलाने के लिए डॉक्टर बनने की ठानी. अरविंद के पिता, भिखारी को उनके नाम और काम की वजह से गांववाले ताने मारते थे.

मैं नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदल देता हूं और वहीं से मोटिवेशन भी ढूंढ लेता हूं.
-अरविंद कुमार
अपनी सफ़लता का श्रेय, अरविंद ने अपने परिवार को दिया. अरविंद ने बताया कि उसके पिता, भिखारी 5वीं तक पढ़े हैं और उसकी मां ललिता देवी कभी स्कूल नहीं गई. अरविंद अपने पिता को बेइज़्ज़त होते देखकर बड़ा हुआ.
हर Attempt में बढ़ते नंबर से उम्मीद लगी रहती और मैं अपने लक्ष्य से अडिग रहा.
-अरविंद कुमार

2018 में अरविंद कोटा चला गया. Indian Express से बात-चीत में अरविंद के पिता भिखारी ने बताया कि वो बेटे की शिक्षा के लिए 12-15 घंटे काम करते.
मैं अपने बच्चों की शिक्षा का ख़र्च उठाने के लिए 12-15 घंटे काम करता और 6 महीने में कुछ समय के लिए अपने परिवार से मिलता. मुझे अरविंद पर गर्व है.
-भिखारी
अरविंद ने बताया कि वो Orthopaedic Surgeon बनकर लोगों की सेवा करना चाहता है.