पृथ्वी का तापमान इस हद तक बढ़ गया है कि हम उस दहलीज़ पर आ गए हैं, जहां से आने वाले विनाश को महसूस किया जा सकता है. बढ़ते तापमान के कारण समुद्र का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है. विशेषज्ञों ने ये चेतावनी साइंस जर्नल ‘नेचर’ में लिखी है.
पृथ्वी का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है, जिसके कारण ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं. ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने के कारण समुद्र का जल स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है. बढ़ती गर्मी के कारण समुद्री जीव Coral Reefs तेज़ी से मर रहे हैं. तापमान में वृद्धि के कारण तटीय क्षेत्रों में तूफ़ान आदि की समस्याएं पहले के मुकाबले बढ़ गई हैं.
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जलवायु परिवर्तन से हो रही इन समस्याओं से बचने के लिए हमें स्वच्छ ईंधन के स्रोतों का प्रयोग बढ़ाना होगा. पिछले दो सालों में जीवाश्म ईंधन के प्रयोग के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्पादन में कमी आई. दशकों से बढ़ रहा कार्बन का उत्पादन पिछले दो सालों से 41 अरब टन प्रति वर्ष पर आकर रुका है.
अगर इसी दर से कार्बन का उत्पादन होता रहा, तो शायद हम सिर्फ़ दो दशक तक ही तापमान को 2 डिग्री सेल्सियसड बढ़ने तक रोक सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन समिति के अध्यक्ष Christiana Figueres का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था से कार्बन को बाहर रखने के लिए हमें अभी काफी लंबा सफ़र तय करना है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पेरिस समझौते से पीछे हटने के बाद जलवायु परिवर्तन के लिए उठाए गए सारे कदम एक बार फिर संदेह में आ गए हैं.
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पेरिस समझौते के लक्ष्य साल 2020 तक ऊर्जा के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग बढ़ा कर तीस प्रतिशत करने के साथ कोयले से चलने वाले नए पावर हाउस के निर्माण पर रोक लगाना है. इसके साथ ही यातायात में इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों को बढ़ावा देना है. अभी मार्केट में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की खपत एक फ़ीसदी है. जिसे बढ़ा कर 15 प्रतिशत करना है. साथ ही साथ हैवी ड्यूटी वाहनों की ईंधन दक्षता को 20 प्रतिशत बढ़ाना और प्रति किलोमीटर कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्पादन को 20 प्रतिशत तक कम करना है. वनों के विनाश के कारण बढ़ रही ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव को दस साल में न्यूनतम स्तर पर ले आना और साथ ही साथ विनिर्माण सेक्टर से भी कार्बन के उत्पादन को कम करना है.
तेज़ी से बढ़ रहा है समुद्र का जल स्तर
साल 1990 के बाद तापमान में वृद्धि के कारण पूरे विश्व में समुद्र का जल स्तर तेज़ी से बढ़ने लगा है. समुद्र का जल स्तर 50 प्रतिशत की वृद्धि दर से प्रतिवर्ष 3.3 मिलीमीटर बढ़ रहा है. साल 1993 से 2014 तक समुद्र का जलस्तर प्रतिवर्ष 2.2 मिलीमीटर से बढ़ रहा था. विशेषज्ञों का कहना है कि समुद्र के जल स्तर का बढ़ना, ग्लोबल वॉर्मिंग के ख़तरे से आगाह करने के लिए चेतावनी का कार्य करेगा.
मानवीय हस्तक्षेप के कारण पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है. जिसके कारण पिछले 100 साल में समुद्र का जलस्तर करीब 20 सेंटीमीटर बढ़ गया है. सेटेलाइट से प्राप्त जानकारियों के मुताबिक 1990 से समुद्र का जलस्तर तेज़ी से बढ़ा है.
Article Source – Dailymail
Feature Image Source – Inhabitat